बच्चों से डाटा चोरी
बच्चों के तीन एप को गूगल प्ले स्टोर ने बाहर का रास्ता दिखाकर एक अच्छा काम किया है।
केवल गूगल प्ले स्टोर से तीन एप हटा देने से क्या होगा? अन्य प्लेटफॉर्म के जरिए ये एप पहले की तरह ही मौजूद रहेंगे और सक्रिय भी। ऐसे एप और उनकी मालिक कंपनियों पर विशेष रूप से ध्यान रखने की जरूरत है। ऐसी कई कंपनियां हैं, जो एक से अधिक एप बाजार में चला रही हैं और उपभोक्ताओं के लिए यह पता लगाना कठिन है कि वे अपने किस एप का इस्तेमाल डाटा संग्रह के लिए कर रही हैं। अब इस सवाल गंभीरता से विचार करने की जरूरत है कि किसी भी सामान्य एप को किसी फोन के अंदर के कांटेक्ट नंबर, इमेज गैलरी, मैसेज बॉक्स तक पहुंच क्यों चाहिए? ग्राहकों को क्या मजबूर किया जाता है? क्या इसके लिए खुद प्ले स्टोर चलाने वाली कंपनी भी जिम्मेदार नहीं है?
इस बार खतरा बड़ा है, बच्चों के गेमिंग एप के जरिए डाटा संग्रह की शिकायत आई है। जब वयस्क लोग ही एप के पूरे विज्ञान और व्यावसायिक उपयोग को ठीक-ठीक समझ नहीं पाते हैं, तब बच्चों के लिए तो यह विषय दूर की कौड़ी है। ध्यान देने की बात है, इंटरनेशनल डिजिटल अकाउंटेबिलिटी कौंसिल ने पाया है कि ये तीन एप बच्चों का डाटा संग्रह कर रहे थे। सवाल कई हैं, क्या केवल यही तीन एप थे, जो ऐसा कर रहे थे? इस कौंसिल को साफ तौर पर जांच करके सबको बताना चाहिए कि किस-किस एप के जरिए जासूसी या डाटा चोरी हो रही है। दूसरी ओर, गूगल या एप्पल जैसी कंपनियोंं की भी जिम्मेदारी बहुत ज्यादा है। उन्हें जब भी कोई गड़बड़ी दिखती है, तो वे एप को अपने दायरे से बाहर कर देती हैं, लेकिन क्या इतना ही पर्याप्त है? चोरी करने वाले एप या उसकी कंपनी के लिए क्या किसी दंड का प्रावधान नहीं है? गूगल प्ले स्टोर से इस साल अब तक 36 एप को बाहर किया जा चुका है। प्ले स्टोर पर 28 लाख से भी ज्यादा एप हैं, क्या सभी की चौकस निगरानी की जा रही है? क्या गलती या अपराध करने वाले एप की संख्या केवल 36 है? प्रिंसेस सैलून, नंबर कलरिंग और कैट्स ऐंड कॉसप्ले जैसे एप को लेकर जैसी गंभीरता दिखाई गई है, उसे विधिवत रूप से आगे ले जाने की जरूरत है।