दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों के आंकड़े बताते हैं कि कोरोना के गंभीर नुकसान से वैक्सीन बचाव कर रही है
कोरोना के गंभीर नुकसान से वैक्सीन बचाव कर रही है
पंकज कुमार।
देश में कोरोना (Corona) संक्रमण के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. बीते कुछ दिनों से हॉस्पिटलाइजेशन की संख्या में भी कुछ इजाफा हुआ है, लेकिन पिछले लहर की तुलना में इस बार हालात काफी नियंत्रण में हैं. क्या है तेजी से हुए टीकाकरण अभियान (Vaccination Campaign) का असर है? सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि वैक्सीन कोरोना से लोगों की जान बचा रही है. जिन लोगों ने टीके की दोनों खुराक ले रखी है, उन्हें संक्रमण से ज्यादा खतरा नहीं हुआ है.
जबकि वैक्सीन ना लेने वालों को संक्रमण से जान का जोखिम हो रहा है. एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि कोरोना के गंभीर असर को कम करने के लिए वैक्सीन काफी फायदेमंद साबित हो रही है. इस बात की पुष्टि दिल्ली सरकार (Delhi Government) के आंकड़े भी कर रहे हैं.
दिल्ली सरकार ने बीते पांच दिनों में कोविड से हुई मौतों पर एक रिपोर्ट जारी की है. इसके मुताबिक, दिल्ली में 5 से 9 जनवरी के बीच कुल 46 लोगों ने कोरोना से जान गंवाई है. इनमें से 35 लोग ऐसे थे जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली थी. जबकि, 46 में से 34 लोग ऐसे थे जिनको कोमोरबिडिटी थी. यानि, टीका ना लेने वाले और पुरानी बीमारी से पीड़ित लोगों में कोरोना से मौत की आशंका काफी अधिक है. दिल्ली ही नहीं देश के कई राज्यों में ऐसा डाटा देखने को मिला है. जिसमें पता चलता है कि वैक्सीन नहीं लेने वालों को संक्रमण से अधिक खतरा है. महाराष्ट्र में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने भी तीन दिन पहले एक बयान जारी कर कहा था कि ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहने वाले अधिकांश मरीज ऐसे हैं जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की एक भी खुराक नहीं ली है. यह आंकड़े बताते हैं कि कोरोना के असर को कम करने के लिए वैक्सीन काफी प्रभावी है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
सफदरजंग अस्पताल के मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर का कहना है कि वैक्सीन का मक्सद बीमारी के गंभीर असर को कम करना था. जिसमें यह सफल दिखाई दी है. तेजी से चले टीकाकरण के कारण ही देश में इस बार कोरोना का असर पिछले लहर की तुलना में काफी कम दिखाई दे रहा है. हम देख रहे हैं कि जिन लोगों ने वैक्सीन ली है उनमें संक्रमण के लक्षण काफी हल्के हैं. अस्पतालों में अधिकतर मरीज वह हैं जिनको कोई गंभीर बीमारी है. या जिन्होंने अभी तक टीका नहीं लिया है. डॉ. किशोर का कहना है कि यह वैक्सीन का ही फायदा है जिससे इस बार हॉस्पिटलाइजेशन कम हो रहा है. साथ ही कोरोना से डेथ रेट भी कम है. इसलिए लोगों से अपील है कि जिन्होंने अब तक टीका नहीं लिया है वह जल्द से जल्द वैक्सीन लगवा लें.
यशोदा (कौशांबी) के क्रिटिकल केयर विभाग के डॉक्टर अर्जुन खन्ना का कहना है कि जैसे-जैसे कोविड बढ़ रहा है. हमें वैक्सीन का फायदा दिख रहा है. हम देख रहे हैं कि जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज़ ली है उनमें कोरोना के लक्षण खांसी-जुकाम जैसे ही हैं. इन लोगों को कोरोना ज्यादा परेशान नहीं कर रहा है. दूसरी तरफ आईसीयू में अधिकतर मरीज वह हैं जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगी थी. डॉ. के मुताबिक, यह बहुत अच्छी बात है कि देश में टीकाकरण इतनी तेज गति से चल रहा है. क्योंकि यह एक ऐसी चीज है जो हमें इस महामारी से बचा सकती है. इसलिए सभी पात्र लोगों को वैक्सीन लेना बहुत जरूरी है.
दिल्ली के लोकनायक अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार का कहना है कि अस्पताल में ओमिक्रॉन के जो संक्रमित भर्ती हुए हैं. उनमें से अधिकतर ने वैक्सीन की दोनों डोज ले रखी थी. इन मरीजों को एक सप्ताह के भीतर ही अस्पतालों से छुट्टी मिल गई थी. वैक्सीन के कारण ही इन लोगों में संक्रमण के गंभीर लक्षण नहीं आए थे. जो मरीज गंभीर स्थिति में हैं उनमें अधिकतर वह हैं जिनको पहले से कोई गंभीर बीमारी है.
टी सेल का अहम रोल
जब ओमिक्रॉन आया था. तब इसके स्पाइक प्रोटीन में ही 30 म्यूटेशन थे. इससे आशंका जताई जा रही थी कि यह वेरिएंट वैक्सीन को चकमा दे सकता है. यह वेरिएंट वैक्सीनेटेड लोगों को संक्रमित कर सकता है. ऐसा हुआ भी जिन लोगों ने वैक्सीन ली थी. उनको भी संक्रमण हुआ, लेकिन इसका असर ज्यादा गंभीर नहीं हुआ. लोगों में लक्षण हल्के ही रहे. संक्रमण से गंभीर रूप से बीमार होने से बचाने में शरीर के अंदर बनने वाली टी-सेल का काफी महत्व रहा.
डॉक्टरों के मुताबिक, हमारे शरीर में संक्रमण से सबसे पहले एंटीबॉडी लड़ती है. जब एंटीबॉडी का प्रभाव कम होने लगता है तो टी-सेल का काम शुरू होता है. जब वायरस हमला करता है तो यह टी-सेल वायरस से मुकाबला कर हमारी रक्षा करते हैं. ऐसे में कमजोर इम्यूनिटी की वजह से भले ही संक्रमण शरीर पर हमला कर दे, लेकिन अगर टी-सेल की प्रतिक्रिया बरकरार है तो यह वायरस को शरीर में अधिक नुकसान नहीं करने देती है. जिससे मौत की आशंका काफी कम रह जाती है. यही कारण है कि भले ही वैक्सीनेटेड लोग संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन मौत की आंकड़े पिछली लहरों की तुलना में काफी कम हैं. डॉ. के मुताबिक, एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में एक माइक्रोलीटर रक्त में आमतौर पर 2000 से 4800 टी-सेल होते हैं. जब कोई वायरस शरीर में हमला करता है तो यह सेल ही हमें बचाते हैं, लेकिन अगर किसी कारण टी-सेल कम हैं तो खतरा हो सकता है, हालांकि ऐसी आशंका कम ही रहती है.
वैक्सीन के असर से मौतें कम
दिल्ली सरकार की ओर से जारी आंकड़ो के मुताबिक, जिन लोगों की मौत हुई है उनमें करीब 76 फीसदी लोगों ने वैक्सीन नहीं ली थी. जबकि, इनमें से 34 लोगों को कोरोना संक्रमण से पहले कोई बीमारी थी. मृतकों को हार्ट, कैंसर जैसे बीमारियां थीं. ये मरीज अलग-अलग अस्पतालों में आईसीयू में एडमिट थे. आंकड़े इस बात को स्पष्ट कर रहे हैं कि जिन लोगों को वैक्सीन लग चुकी है. उनके लिए कोरोना जानलेवा नहीं है. टीके ले चुके लोगों में वैक्सीन ना लेने वालों की तुलना में मौत का खतरा काफी कम है. वैक्सीन के प्रभाव की वजह से ही इस बार हॉस्पिटलाइजेशन और डेथ रेट काफी कम है. लोगों कों संक्रमण से बचाने के लिए वैक्सीन एक वरदान साबित हो रही है.