डेली प्रोग्रेस रिपोर्ट ऑफ प्यारे लाल

कई दिनों से चल रही नए साहब और बड़े बाबू के अटका लटका के बीच कल वही हुआ जिसका बहुत पहले से ही डर था

Update: 2021-09-08 06:27 GMT

कई दिनों से चल रही नए साहब और बड़े बाबू के अटका लटका के बीच कल वही हुआ जिसका बहुत पहले से ही डर था। फाइनली बड़े बाबू को अब सबक सिखाने के बुरे इरादे से साहब ने नोटिस निकाला कि कल से उनका हर मातहत उन्हें सारे दिन की प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश किया करेगा कि सारा दिन उसने ऑफिस में क्या किया? …तो अब हुआ यों कि सुबह सुबह पीउन प्यारे लाल साहब जी के कमरे में गए। उन्होंने साहब से हाथ जोड़े पूछा, 'साहब जी! मुझे भी आज डेली प्रोग्रेस रिपोर्ट देनी है क्या? यह सुन घर से गुस्साए आए साहब तुनकते बोले, 'क्यों, क्या तुम इसी ऑफिस में काम नहीं करते? मेरे बॉस हो क्या? 'आपके बॉस तो भगवान भी नहीं हो सकते साहब जी! 'तो रिपोर्ट देकर जाना शाम को! वर्ना आज की छुट्टी लगेगी। हराम का खाने वालों को इस देश में कोई जगह नहीं। पांच बजने को पांच मिनट पर साहब जी के घर जाने से पहले प्यारे लाल पीउन ने उस दिन की अपनी ये प्रोग्रेस रिपोर्ट साहब जी को यों पेश की- प्यारे लाल पक्का पीउन आज नौ बजे घर से ऑफिस के लिए रवाना हुआ जनाब जी! कल के आदेश के मुताबिक आते आते वह ऑफिस आने से पहले सीधा छोटे बाबू जी के घर गया। वहां से उनकी बीवीजी ने उनको चक्की पर ताजा आटा लाने को थैला थमाया साहब जी! वहां से वह सीधा बाजार गया।

छोटे बाबू जी की बीवी की हिदायत के चलते ताजा गेहूं का बीस किलो आटा उनके घर छोड़ा, मजदूर के पैसे बचाते हुए। उसके बाद बारह बजे उसे साहब जी ने बुलाया। साहब जी ने आदेश दिया कि उनके बेटे को स्कूल से छुट्टी होने वाली है। सो, प्यारे लाल पीउन सरकारी गाड़ी के ड्राइवर के साथ उनके बेटे के स्कूल गया। उसके बाद वह साहब जी के बेटे जी को स्कूल से ऑफिस की गाड़ी में लेकर उनको छोडऩे उनके घर पहुंचा। बीच में उनके बेटे जी ने गोल गप्पे खाने की बहुत जिद्द की। साहब जी की ही तरह नहीं माना, तो नहीं माना। माना तो गोल गप्पे खाकर ही माना। एक बजे उनके बेटे को लेकर पीउन प्यारे लाल साहब जी के सरकारी आवास पर पहुंचा। वहां बीवी जी जैसे उसका ही इंतजार बड़ी देर से कर रही थीं। उन्होंने पीउन प्यारे लाल को कपड़े धोने लगा दिया। साहब जी के घर के कपड़े धोते धोते तीन बज गए। तीन बजे जब साहब जी के घर के कपड़े धोकर खत्म हुए तो बीवीजी ने चाय पिलाई साहब जी! हालांकि पीउन प्यारे लाल चाय पीना नहीं चाहता था।
उसे चाय पीने के बाद के काम का पता था। पर बीवीजी के प्यार के आगे न न कर सका तो न कर सका। बीवी जी की इज्जत का सवाल था! चाय पीने के बाद पीउन प्यारे लाल ने अपना गिलास साफ करने के बहाने सिंक में पड़े ढेर बरतन धोए। उसके बाद वह पैदल ही वहां से ऑफिस के लिए आया। बीच में बारिश भी लगी। छाता न होने के वजह से भीगा भी। पर बारिश इतनी अधिक न थी कि उसे किसी दुकान पर रुकना पड़ता। साहब जी! ऑफिस पहुंचते पहुंचते चार बज गए। अभी आराम करने को झपकी भर ली ही थी कि चार बजकर पांच मिनट पर फिर साहब जी का फोन आ गया। उनके जो जूते पीउन प्यारे लाल कल ठीक करने को छोड़ आया था, उन्हें लाने को। साढ़े चार बजे पीउन प्यारे लाल साहब के जूते रिपेयर पॉलिश करवा कर बाजार से ऑफिस लाया। आज भी क्या पांच बजे के बाद आपके साथ आपके घर जाना है साहब जी? पांच बजने को पांच मिनट पर पांच बज कर पांच मिनट तक की आज की प्रोग्रेस रिपोर्ट तैयार कर साहब जी के चरणों में सादर सौंपी जाती है। साहब जी के चरणों में, सबके प्यारे प्यारे लाल!
अशोक गौतम
ashokgautam001@Ugmail.com
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