CWC मीटिंग: क्यों शनिवार को किसी गैर गांधी का कांग्रेस अध्यक्ष चुना जाना असंभव है?
उम्मीद है कि शनिवार को CWC की मीटिंग में नेतृत्व का विवाद सुलझ जाएगा. रही बात कि कौन बनेगा कांग्रेस पार्टी का नया अध्यक्ष? इस में किसी शक की गुंजाइश ही नहीं है
आगामी शनिवार को कांग्रेस कार्य समिति यानि CWC की एक अहम् बैठक होने वाली है जिसमे पार्टी के नए अध्यक्ष के नाम पर चर्चा होने की संभावना है. यह बैठक वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की मांग पर बुलाई गयी है. आजाद ने पिछले दिनों पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था और CWC की बैठक बुलाने की मांग की थी. आजाद समेत पार्टी के कई नेता पिछले 14 महीनों से लगातार मांग करते आ रहे हैं कि पार्टी को एक स्थायी अध्यक्ष की ज़रुरत है. साथ में उनकी यह भी मांग थी कि पार्टी में आतंरिक चुनाव कराया जाए ताकि महत्वपूर्ण पदों पर चुने हुए नेता को मौका दिया जा सके. पिछले वर्ष अगस्त में एक चिट्ठी लिखी गयी थी जिस पर 23 नेताओं ने हस्ताक्षर किये थे, जिन्हें अब G-23 के नाम से जाना जाता है.
आजाद को G-23 गुट के नेता के रूप में देखे जाने लगा. चूंकि उनके नेतृत्व में G-23 में पार्टी में चुनाव करने की मांग करने की जुर्रत की थी, उसकी सजा आजाद को मिली. पहले उन्हें पार्टी महासचिव पद से हटाया गया और कुछ समय बाद उनकी राज्यसभा की सदस्यता भी जाती रही. आजाद का राज्यसभा सदस्य के रूप में कार्यकाल 15 फरवरी को समाप्त हो गया और पार्टी ने उन्हें किसी राज्य से मनोनीत नहीं किया. पर जून के महीने में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद नेतृत्व के सवाल पर फिर से विवाद बढ़ने लगा था.
कौन बनेगा कांग्रेस पार्टी का नया अध्यक्ष?
सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष का पद अगस्त 2019 में संभाला था. राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की शर्मनाक हार के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. उम्मीद की जा रही थी कि सोनिया गांधी नए अध्यक्ष को चुने जाने तक ही पार्टी की कमान संभालेंगी और जल्द ही पार्टी में चुनाव होगा. पर किसी ना किसी बहाने चुनाव को टाला गया.
CWC, जो कांग्रेस पार्टी की सर्वोच्च समिति है, को अधिकार है कि वह पार्टी अध्यक्ष को उसके पद से हटा सके और किसी अन्य को नया अध्यक्ष चुने. CWC द्वारा मनोनीत अध्यक्ष के नियुक्ति की पुष्टि अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी (AICC)से होना अनिवार्य है. उम्मीद यही की जा रही है कि शनिवार को CWC की मीटिंग में नेतृत्व का विवाद सुलझ जाएगा. रही बात कि कौन बनेगा कांग्रेस पार्टी का नया अध्यक्ष? इस में किसी शक की गुंजाइश ही नहीं है कि CWC मीटिंग में एक बार फिर से राहुल गांधी को ही अध्यक्ष पद सौपने का फैसला लिया जाएगा.
गांधी परिवार पार्टी पर अपनी पकड़ कमजोर नहीं करना चाहती
ऐसा इसलिए कदापि नहीं है कि किसी गैर गांधी नेता में अध्यक्ष बनने की क्षमता नहीं है, बल्कि इसलिए की गांधी परिवार पार्टी पर अपनी पकड़ कमजोर नहीं करना चाहती. 1998 में जबकि गैर कानूनी तरीके से सीताराम केसरी को अध्यक्ष पद से हटा कर सोनिया गांधी को उस कुर्सी पर बैठाया गया था, पहले लगातार 19 वर्षों तक सोनिया गांधी पार्टी अध्यक्ष रहीं और 2017 में सोनिया ने अध्यक्ष पद की कुर्सी अपने बेटे राहुल गांधी को सौंप दी. 23 वर्षों से गांधी परिवार के नेतृत्व में ही पार्टी चल रही है. इस दौरान पार्टी का उत्थान और पतन दोनों देखने को मिला. इसमें दस वर्ष का वह स्वर्णिम अध्याय भी है जबकि केंद्र में 2004 से 2014 तक कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार चली और फिर वह काला अध्याय भी जब पार्टी लगातार दो बार लोकसभा चुनाव में बुरी तरह पराजित हुयी और पार्टी का पतन होता गया. एक के बाद एक राज्य में कांग्रेस पार्टी चुनाव हारती गयी. एक समय वह भी था जब पूरे देश में कांग्रेस पार्टी की सरकार होती थी और अब कांग्रेस पार्टी की सरकार सिर्फ तीन राज्यों में ही सीमित है. सबसे महत्वपूर्ण, वर्तमान परिस्थितियों में पार्टी का भविष्य अंधकारमय ही दिख रहा है.
पार्टी का भला चाहने वाले हुए दरकिनार
यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि पार्टी का भला चाहने वाले जो नेता आतंरिक चुनाव करा कर नए नेतृत्व को मौका देने की बात कर रहे थे, उन्हें पार्टी में दरकिनार कर दिया गया. सोनिया गांधी सिर्फ नाम की ही अंतरिम अध्यक्ष रहीं और सभी महत्वपूर्ण फैसले राहुल गांधी ही लेते रहे.
कांगेस संविधान के अनुसार CWC में अधिकतम 25 सदस्य हो सकते हैं जिनमे से 12 का चुनाव AICC के अधिवेशन में करवाने का प्रावधान है और बाकी के 12 सदस्य पार्टी अध्यक्ष द्वारा मनोनीत होते हैं. यानि किसी भी समय CWC में कांग्रेस अध्यक्ष को बहुमत हासिल होता है. CWC का पिछले लगभग 30 से चुनाव नहीं हुआ है जबकि आखिरी बार मतदान के जरिय अध्यक्ष पद का चुनाव 21 वर्ष पूर्व हुआ था. वर्तमान में CWC में सोनिया गांधी के सिवा 19 और सदस्य हैं, जिनमें सोनिया गांधी के दोनों बच्चे राहुल और प्रियंका भी शामिल हैं. सभी CWC सदस्य सोनिया गांधी द्वारा मनोनीत हैं और सभी की निष्ठा कांग्रेस पार्टी से ज्यादा गांधी परिवार के प्रति है. इन में से आजाद समेत सिर्फ तीन ही ऐसे सदस्य हैं जिनकी गिनती G-23 में होती है. बाकी सारे गांधी परिवार में निष्ठा रखने वाले नेता हैं. ऐसे में यह सोचना कि जब तक गांधी परिवार की मर्ज़ी ना हो, CWC द्वारा किसी गैर गांधी को अध्यक्ष चुने जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता है.
हां, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि CWC इस बात को भी सुनिश्चित कर दे कि भविष्य में भी कोई गैर गांधी कांग्रेस अध्यक्ष ना बने, प्रियंका गांधी की पदोन्नति हो सकती है और उन्हें कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है.