इस पर रोयें या हंसे?
अगर महामारी के दौर में गैर बराबरी इसलिए बढ़ जाए कि धनी तबकों ने उस दौरान दी गई राहत का लाभ उठा लिया, तो उससे समझा जा सकता है कि
अगर महामारी के दौर में गैर बराबरी इसलिए बढ़ जाए कि धनी तबकों ने उस दौरान दी गई राहत का लाभ उठा लिया, तो उससे समझा जा सकता है कि दुनिया भर में सरकारों ने इस कैसी नीतियां अपनाईं? ये कहानी लगभग पूरी दुनिया की है। सरकारों ने महामारी से उबरने की कोशिश में बाजार में नकदी की मात्रा बढ़ाने की कोशिश की। लेकिन कॉरपोरेट सेक्टर ने आसान शर्तों पर मिले कर्ज या सहायता का निवेश समाज में नही किया। बल्कि उस रकम को शेयर बाजार में लगाया। इस तरह उन्होंने शेयर सूचकांक उछलते चले गए। इससे वहां निवेश करने वाले लोगों की संपत्ति अकूत ढंग से बढ़ती चली गई। ये कहानी भारत की भी है, जहां जिस समय करोड़ों लोग रोजगार जाने के कारण मुसीबत में हैं, वहीं बीएसई सेंसेक्स 50 हजार के आंकड़े को पार कर गया। इसलिए इसमें कोई शक नहीं कि बड़ी कंपनियों का धन और भी ज्यादा बढ़ गया है।