By: divyahimachal
हे हमारे देश के हर श्रेणी की परीक्षा के पेपर लीक होने का पल पल इंतजार करने वाले होनहार परीक्षार्थियो! आपको यह शुभ समाचार देते हुए मत पूछो एंटी चीटिंग बिल की धज्जियां लहराने वालों को कितनी प्रसन्नता हो रही है कि आपकी शुभकामनाओं से अब आपके इस पेपर के भी लीक होने के इंतजार की घडि़यां खत्म हुईं। अब आप अपने अपने शहर के हमारे पेपर लीक डिस्ट्रीब्यूटरों से संपर्क कर आपकी परीक्षा में आने वाले पेपर के साथ साथ उसके आंसर भी वाजिब दामों में प्राप्त कर सकते हैं। हे हमारे प्यारे उपभोक्ताओ ! पेपर होने से पहले पेपर लीक करवाने को आपको क्या पता कितने मास्टर माइंड हाथ पांव मार रहे थे? पर हमने पेपर लीक करवा एक बार फिर साबित कर दिया है कि इस क्षेत्र का हमसे बड़ा मास्टर माइंड कोई नहीं। और हम भविष्य में भी आपको पेपर लीक करवाने के मामले में विश्वास दिलवाते हैं कि हमसे आगे कोई नहीं होगा। हम पूरे विश्वास के साथ आपको दिलाते हैं कि हम आपको ही नहीं, आपके अहोनहारों को होनहार बनाने हेतु उनको भी सही पेपर लीक करवा आपकी तरह उनको भी सफलता के शिखर पर चढ़ाते रहेंगे।
हम आपको एक बार फिर आत्मविश्वास दिलवाते हैं कि भविष्य में भी इसी तरह हर किस्म की परीक्षा के पेपर परीक्षा होने से ठीक पहले लीक करवा आपको आपके भविष्य की ऊंचाइयां लेटे लेटे टच करवाते रहेंगे। हे हमारे प्यारे उपभोक्ताओ! कुछ आलसी टाइप के लोग समझते हैं कि पेपर लीक करवाना चुटकी भर का काम होता है। कि इधर चुटकी बजाई और उधर पेपर लीक होकर आपके हाथ में। पहले शायद था। क्योंकि तब मीडिया इतना जागरूक नहीं था। पेपर लीक करने करवाने वाले ही तब जागरूक होते थे। पर अब वैसी बात नहीं। अब तो पेपर लीक करवाने को बुझे कोयलों पर भी फूंक फूंक कर कदम रखना पड़ता है। हे हमारे प्यारे उपभोक्ताओ! आज यह काम है आग के दरिया का और उस पार पता नहीं कैसे कैसे जाना है? पर बस, परीक्षार्थियों के हित में जाना है तो जाना है। फॉर एग्जाम्पल, पहले बीस सूत्र ढूंढते ढूंढते पेपर पाने वाले तक पहुंचना, फिर उसके नखरे खरीदना, फिर पेपर करवाने वालों को उसका ही पेपर फाइनल करवाने के दाम चुकाना… फिर… फिर…अकेले ये काम नहीं होता। पूरा जुटा तंत्र पटाना पड़ता है। उसके बाद भी जो पेपर लीक होने का गलती से हल्ला पड़ जाए तो गई सारी मेहनत पानी में। वैसे यहां लीकेज कहां नहीं? सच पूछो तो लीकेज बंद करने वाली सामग्री में भी लीकेज है।
इसलिए भोले भाले उसे जिस लीकेज पर लगाते हैं, वहां लीकेज बंद होने के बदले और बढ़ जाती है। यहां बस, सीना चौड़ा कर बेशर्म हो लीकेज ढूंढनी पड़ती है। एक बार लीकेज मिल गई तो…लीकेज मिल गई तो काम पूरा तो नहीं, पर बहुत आसान हो जाता है। फिर पैसे को हर रिश्ता मानने वाले दौर में पेपर लीकिए इतना मुंह खोलते हैं कि पूछो ही मत! पर जहां चाह, वहां राह! आज तक आपके सहयोग से हम उन सबके मुंह मजे से ठूंस ठूंस गू भरते करते रहे हैं। और भविष्य में भी इसी तरह भरते रहेंगे, औसत परीक्षार्थियों के जनहित में अपनी जान हथेली पर रखकर पूरी ईमानदारी से पेपर लीक करवाने का काम करते रहेंगे। हे हमारे अमूल्य औसत उपभोक्ताओ! सब जानते हैं कि पढ़ने लिखने वाले तो कहीं न कहीं निकल ही जाते हैं। पर जो पढ़ नहीं सकते, क्या उनका अधिकार नहीं कि वे भी बेहतर से बेहतर नौकरियों का आनंद लें। आखिर उनका दोष क्या है जो उनके पास दिमाग नहीं? पर उनके पास पैसा तो है। इसलिए सपने में भी डरिए मत! हम ऐसों के ही साथ आठ पहर खड़े हैं। मेहनत करने वालों के साथ तो कोई भी खड़ा हो सकता है। पर परीक्षाओं से तिरस्कृतों, बहिष्कृतों के साथ जो कोई खड़ा हो तो बात बने।
अशोक गौतम
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