कोरोना मामलों में भारत में आ रही कमी प्रशंसनीय है

कोरोना मामलों में भारत में आ रही कमी प्रशंसनीय है, लेकिन नए मामलों का सामने आना कम नहीं हो रहा है।

Update: 2021-02-18 06:40 GMT

कोरोना मामलों में भारत में आ रही कमी प्रशंसनीय है, लेकिन नए मामलों का सामने आना कम नहीं हो रहा है। ज्यादा बड़ी चिंता तब उभरती है, जब विदेश से कोरोना का कोई नया स्ट्रेन या प्रकार भारत पहुंचता है। दिसंबर महीने में ब्रिटेन से भारत पहुंचा कोरोना स्ट्रेन सनसनी फैलाने में कामयाब रहा था और अब दक्षिण अफ्रीका व ब्राजील से भारत पहुंचे स्टे्रन को लेकर विशेष रूप से दक्षिण भारत में तनाव है। बेंगलुरु हवाई अड्डे पर उचित ही जांच बढ़ा दी गई है। देश के दूसरे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर भी जांच बढ़ा देनी चाहिए। जब हम भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई को 80 प्रतिशत से ज्यादा जीत चुके हैं, तब हमें लापरवाही का परिचय कदापि नहीं देना चाहिए। ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका से जो कोरोना भारत पहुंच रहा है, उसकी गंभीरता या संक्रमण शक्ति पर खास नजर रखने की जरूरत है। वैज्ञानिकों को पहले से ही अंदाजा था कि कोरोना के अलग-अलग वायरस सामने आएंगे और इससे डरने की कोई बात नहीं, लेकिन सावधानी के मोर्चे पर कोई ढिलाई नहीं होनी चाहिए। केवल दक्षिण अफ्रीका या ब्राजील से आने वालों पर ही नहीं, बल्कि विदेश से आने वाले हरेक यात्री को ठीक से जांचकर ही आम आबादी में प्रवेश देना चाहिए।

हमें सावधानी के आजमाए हुए उपायों को भूलना नहीं चाहिए। ऐसे उपायों की वजह से ही भारत कोरोना के मोर्चे पर कुछ राहत की सांस ले रहा है। अब देश में सक्रिय मामले महज 1,36,549 बचे हैं, जबकि 18 सितंबर को सक्रिय मामलों की संख्या 10,17,754 तक पहुंच गई थी। मतलब, कोरोना के सक्रिय मामलों में 86.58 फीसदी की कमी आई है। संभव है, यदि हम कुछ और दिन सावधानी बरतें, तो मार्च में सक्रिय मामलों की संख्या एक लाख से नीचे ही रहेगी और रोजाना के नए मामले भी 10,000 से नीचे चले जाएंगे। यह किसी खुशी से कम नहीं कि वैश्विक सक्रिय मामलों में भारत की हिस्सेदारी अब 0.60 प्रतिशत ही बची है। दुनिया में हर 167 कोरोना पीड़ितों में भारतीयों की संख्या सिर्फ एक है। सक्रिय मामलों में हमारा देश दुनिया में 16वें स्थान पर आ गया है। याद कीजिए वह समय, जब हम दूसरे स्थान पर पहुंच गए थे। बहुत बुरा दौर निकल चुका है, लेकिन पूरी तरह छुटकारा पाने की कोशिशें जारी रहनी चाहिए। विशेष रूप से महाराष्ट्र और केरल जैसे अपेक्षाकृत विकसित राज्यों में जो कमियां सामने आ रही हैं, उन्हें जल्द से जल्द दूर करना होगा। नए मामलों को बढ़ते देख महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को लॉकडाउन की चर्चा करनी पड़ी है। कोशिश यही करनी चाहिए कि कहीं भी लॉकडाउन की स्थिति न बने, लोग स्वयं सावधानी बरतें। जांच, निगरानी और उपचार के जो निर्देश हैं, उनमें शिथिलता न आए। जांच व उपचार केंद्रों को बंद करने की जल्दी नहीं करनी चाहिए। इस बीच टीकाकरण अभियान में तेजी लाने की जरूरत है। देश में मंगलवार तक टीका लेने वालों की संख्या 89,99,230 तक पहुंच गई। इस अभियान में तेजी लाने के साथ ही दूसरी खुराक के लिए भी लोगों को प्रेरित करना होगा। दूसरी खुराक के बाद ही असल स्थिति सामने आएगी। दूसरी खुराक के नतीजे देखने के बाद मार्च महीने में टीका अभियान को और तेज करना होगा, ताकि टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा किया जा सके। दुनिया देख रही है, भारत कोरोना के खिलाफ एक मिसाल बनकर उभर रहा है।


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