घोषणाओं का बजट

बेहतर आर्थिक विकास के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 का आम बजट लोकसभा में पेश किया है

Update: 2022-02-01 19:15 GMT

बेहतर आर्थिक विकास के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 का आम बजट लोकसभा में पेश किया है। यकीनन देश के जीडीपी में विस्तार हुआ है और आर्थिक विकास दर भी तय मानकों से अच्छी है। अर्थव्यवस्था की 8 या 8.5 फीसदी की बढ़ोतरी की स्पष्ट व्याख्या यह है कि देश के हालात बेहतर हैं। इसे 'सक्षम आर्थिक, समग्र कल्याण' का बजट करार दिया गया है, लेकिन निजी उपभोग, खपत, मांग, निवेश और रोज़गार से जुड़े सवाल यथावत रहे हैं। सरकारी व्यय कैसे होगा और राजकोषीय घाटा कब तक जारी रहेगा, इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। बेशक वित्त मंत्री ने ज्यादातर सवालों के विस्तृत जवाब नहीं दिए हैं, पहली बार बजट आगामी 25 सालों के 'ब्लूप्रिंट' के तौर पर पेश किया गया है, फिर भी भविष्य को लेकर कुछ महत्त्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं। सरकार का फोकस बुनियादी ढांचे पर ज्यादा रहा है। आगामी 100 सालों के लिए ढांचागत सुविधाएं देने का दावा किया गया है। बजट में 25,000 किलोमीटर राजमार्ग बनाने के लिए 20,000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। आगामी 3 साल में 400 नई 'वंदे भारत' टे्रन शुरू की जाएंगी। सिंचाई और पेयजल के लिए पांच नदियों को जोड़ा जाएगा। यकीनन बुनियादी ढांचे का विस्तार होगा, तो सार्वजनिक निवेश और उसके जरिए निजी उद्योगपतियों की भागीदारी संभव होगी।

क्या आम आदमी के स्तर पर निजी निवेश भी बढ़ेगा? निजी मांग और व्यापक रोज़गार के अवसर भी बढ़ेंगे? फिलहाल यह मानना अथवा समझना सवालिया है। बजट से मध्यम श्रेणी और करदाता नौकरीपेशा वर्ग को निराशा हाथ लगी है, क्योंकि लंबे 8 सालों के बाद भी निजी आयकर में कोई नई छूट या नए स्लैब की घोषणा नहीं की गई है। मानक कटौती वर्ग में कोई बदलाव और रियायत नहीं है। आवास-ऋण को लेकर भी ब्याज में छूट की सीमा बढ़ाई नहीं गई है। महंगाई पर सरकार का कोई स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है। एक महत्त्वपूर्ण घोषणा की गई है कि अब करदाता अपनी आईटीआर में सुधार आगामी दो साल के दौरान कर सकता है। यह कर-विवाद के मद्देनजर किया गया है और जिनकी ऐसी गलती हो गई है, वे अगले दो आयकर वर्षों के दौरान उसे दुरुस्त कर सकेंगे। हालांकि बजट में 'मेक इन इंडिया' के तहत 60 लाख नई नौकरियां और 30 लाख अतिरिक्त नौकरियां देने की घोषणा की गई है। उनकी समय-सीमा और रोडमैप क्या हैं? वित्त मंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया है। बजट में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 80 लाख मकान बनाने और उन पर 48,000 करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा की गई है। 'घर-घर नल में जल' योजना के तहत बीते 2 सालों में 5.5 करोड़ घर कवर कर लिए गए हैं और बजट में 8.7 करोड़ घरों का लक्ष्य तय किया गया है। पहाड़ी क्षेत्रों के लिए 'पर्वतमाला' योजना होगी।
ये तमाम योजनाएं जारी रही हैं और आम भारतीय को लुभाने की मानवीय योजनाएं हैं। इन घोषणाओं का पांच राज्यों के चुनावों में राजनीतिक फायदा लेने की कोशिशें की जाएंगी, लेकिन असर कितना होगा, इसका विश्लेषण भी बाद में ही किया जा सकता है। दरअसल सरकार देश और उसकी बुनियादी व्यवस्था, बैंकिंग, शिक्षा, सेहत, कौशल विकास, डाकघर, ई-पासपोर्ट आदि का 'डिजिटलीकरण' करना चाहती है। बहरहाल यह घोषणा देशहित और आर्थिकी के पक्ष में हो सकती है कि 'क्रिप्टो करेंसी' पर 30 फीसदी कर ठोंका जाएगा। घाटा होने के बावजूद टैक्स देना पड़ेगा। भारतीय रिजर्व बैंक इसी साल अपनी 'डिजिटल करेंसी' लाएगा। साफ है कि भारत में 'क्रिप्टो करेंसी' का कोई भविष्य नहीं है। बजट में स्टार्टअप के प्रोत्साहन के लिए कई घोषणाएं की गई हैं। महत्त्वपूर्ण यह है कि कॉरपोरेट टैक्स 15 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी करने की घोषणा की गई है और सहकारी समितियों के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर 18 की जगह 15 फीसदी होगा। कर्मचारियों की पेंशन पर कर में छूट देने का प्रावधान है और एनपीएस में अब सरकारी योगदान 10 के बजाय 14 फीसदी होगा। राज्यों के कर्मचारियों को केंद्र के कर्मचारियों सरीखी सुविधाएं मिलेंगी। कई अन्य घोषणाएं भी महत्त्वपूर्ण हैं। बजट बेहतर आर्थिकी का संकेत तो करता है, लेकिन रोज़गार, रोटी, मांग, मजदूर सरीखे मुद्दों पर भ्रामक है।

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