अग्निपथ का अंध विरोध: कुछ राजनीतिक दल और संगठन लांघ रहे हद
अग्निपथ का अंध विरोध
अग्निपथ योजना के तहत भर्ती के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू होने के छह दिनों के भीतर वायुसेना को दो लाख से अधिक आवेदन मिलना यही बताता है कि इस योजना के विरोध में जो वातावरण बनाया जा रहा है, उसे देश के युवा कोई महत्व नहीं दे रहे हैं। सेना में भर्ती की इस नई योजना के प्रति युवाओं के उत्साह से यदि कुछ सिद्ध होता है तो यही कि इस योजना का विरोध कर रहे राजनीतिक दल और कुछ अन्य संगठन दीवार पर लिखी इबारत पढऩे से जानबूझकर इन्कार कर रहे हैं। ऐसा तभी होता है, जब संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थों को आवश्यकता से अधिक और यहां तक कि देश हित से भी ज्यादा महत्व दिया जाता है।
कुछ राजनीतिक दल न केवल यही कर रहे हैं, बल्कि इस कोशिश में अपनी हद भी लांघ रहे हैं। इसका उदाहरण है पंजाब सरकार का यह फैसला कि वह राज्य विधानसभा में अग्निपथ योजना के विरोध में प्रस्ताव लाएगी। यह न केवल किसी राज्य सरकार की ओर से अपने अधिकारों का अतिक्रमण किया जाना है, बल्कि विधानसभा का दुरुपयोग करना भी। इस पर हैरानी नहीं कि इस विषय पर कांग्रेस भी पंजाब सरकार का साथ देने को तैयार है।
ऐसा लगता है कि राजनीतिक दलों में अग्निपथ योजना का विरोध और वह भी अंध विरोध करने की होड़ लगी है। इसका पता गत दिवस बिहार विधानसभा में विपक्षी विधायकों के हंगामे से भी चला और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस बयान से भी कि अग्निपथ योजना भाजपा का घोटाला है। उन्होंने यह विचित्र मांग भी कर डाली कि अग्निवीरों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष की जाए। इस तरह की हास्यास्पद मांग करके ममता बनर्जी ने अपनी अगंभीरता को ही प्रकट किया। चूंकि राजनीतिक दल अग्निपथ योजना पर अतार्किक रवैया अपनाए हुए हैं, इसलिए कुछ गैर राजनीतिक संगठन भी ऐसा कर रहे हैं। इनमें कुछ कथित किसान संगठन भी हैं।
इन संगठनों का अग्निपथ योजना के विरोध में उतरना यही बताता है कि वे हर फैसले के विरोध की ताक में रहने वाले आंदोलनजीवी ही हैं। अग्निपथ योजना के विरोध में कई दलों की ओर से जैसे बयान दिए जा रहे हैं, उससे यही स्पष्ट होता है कि उन्हें न तो सेना की जरूरतों की समझ है और न ही इसकी कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सेनाओं के रूप-स्वरूप में किस तेजी से बदलाव हो रहे हैं। कई देश तो ऐसे हैं, जो बहुत पहले ही अग्निपथ सरीखी योजना अपना चुके हैं। इसका कारण यही है कि भविष्य में युद्ध मिसाइल, ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये लड़े जाएंगे। यह भी साफ है कि अग्निपथ योजना के विरोधी इसकी अनदेखी कर रहे हैं कि समय के साथ इस योजना में संशोधन-परिवर्तन संभावित हैं।