किसान आंदोलन लटकाने में भाजपा के मायने
किसान आंदोलन यूं तो पिछले 56 दिन से चल रहा है लेकिन 24 नवंबर से इस आंदोलन ने हरियाणा में राजनीतिक पारा चढ़ा दिया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। किसान आंदोलन यूं तो पिछले 56 दिन से चल रहा है लेकिन 24 नवंबर से इस आंदोलन ने हरियाणा में राजनीतिक पारा चढ़ा दिया है। हरियाणा में भाजपा-जेजेपी सरकार ने राष्टÑीय राजमार्गों को युद्धस्तर पर काम करके बंद किया था कि किसान किसी भी सूरत में दिल्ली न पहुंच सकें लेकिन सरकारें भूल जाती हैं कि जब जन-आंदोलन उठ खड़े होते हैं तब बड़े-बड़े सिंहासन झुक जाते हैं। हरियाणा में भी ऐसा ही हुआ, केन्द्र ने इशारा किया या हरियाणा की सरकार हारी लेकिन किसान दिल्ली पहुंच गए व हरियाणा को राष्टÑीय राजमार्ग खोलने पड़े। इस सबके बीच गेहूँ के साथ घुन भी पिस गया। केन्द्र व हरियाणा में भाजपा की तो यहां जमकर आलोचना हो रही है वहीं हरियाणा में सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलियों व जननायक जनता पार्टी की भी नींद उड़ गई। चूंकि किसान आंदोलन अब इस स्तर का हो गया है कि आने वाले वक्त में लोग इसे वक्त विभाजक की तरह याद रखेंगे कि फलां बात किसान आंदोलन के पहले की है या किसान आंदोलन के बाद की है।