सौर तूफान से पहले

सूर्य की ओर से पृथ्वी पर एक खतरा मंडरा रहा है

Update: 2021-09-13 07:15 GMT

सूर्य की ओर से पृथ्वी पर एक खतरा मंडरा रहा है। अगले दशक में एक ऐसे सौर तूफान के आने की आशंका है, जिससे बड़े पैमाने पर जान-माल और नेटवर्क का नुकसान हो सकता है। शोध पर आधारित भविष्यवाणी में कहा गया है कि एक विशाल सौर तूफान सूर्य से प्राप्त द्रव्यमान और ऊर्जा का एक शक्तिशाली जेट होगा और अगर पृथ्वी खुद को आग की रेखा में पाती है, तो उसे ऐसे परिणाम भुगतने होंगे, जो पहले कभी नहीं देखे गए हैं। दुनिया के बड़े हिस्से में कई दिनों तक बिजली की आपूर्ति भी बाधित रहेगी। परिक्रमा में लगे सैटेलाइट सहित महासागरों में नीचे बिछा केबल ढांचा भी खतरे में होगा। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, इरविन और वीएमवेयर रिसर्च से जुड़ी भारतीय मूल की वैज्ञानिक संगीता अब्दु ज्योति के एक शोध पत्र सोलर सुपरस्टॉर्म : प्लानिंग फॉर ए इंटरनेट एपोेकैलिप्स में कहा गया है कि सौर तूफान आने की 1.6 से 12 प्रतिशत आशंका है। अगर एक प्रतिशत आशंका भी हो, तो भी सौर तूफान से निपटने की तैयारी रखनी चाहिए। वैज्ञानिक ने सभी देशों को चेताया है कि समय रहते तैयारी शुरू कर दें।

अनेक शोधों में यह बात पहले भी सामने आई है कि जो सूर्य दशकों तक सौम्य रहा है, अब मानो नींद से जाग रहा है। वहां से आग की लपटें उठेंगी, जो तूफान का रूप लेकर पृथ्वी की ओर बढ़ेंगी। इस साल जुलाई में भी एक सौर तूफान का साया पृथ्वी पर मंडराया था, लेकिन खास असर नहीं पड़ा। हालांकि, गंभीर सौर तूफान इतने दुर्लभ हैं कि हाल के इतिहास में केवल तीन उदाहरण मिलते हैं। 1859 और 1921 की आपदाओं ने दिखाया था कि भू-चुंबकीय गड़बड़ी बिजली के बुनियादी ढांचे और टेलीग्राफ तारों जैसी संचार लाइनों को बाधित कर सकती है। 1859 में जब सौर तूफान आया था, तब कंपास की सुई बेतहाशा इधर-उधर डोल रही थी। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि तब दुनिया में बिजली ग्रिड की स्थापना नहीं हुई थी, अब अगर सौर तूफान आया, तो सीधे ग्रिड पर दुष्प्रभाव पड़ेगा। यह दुष्प्रभाव कैसा और कितना होगा, इसका कमोबेश अनुमान वैज्ञानिकों को लगाना पड़ेगा, ताकि उसी हिसाब से तैयारी की जा सके। साल 1989 में आए एक मध्यम-गंभीर सौर तूफान ने हाइड्रो-क्यूबेक ग्रिड पर असर डाला था और पूर्वोत्तर कनाडा में नौ घंटे के ब्लैकआउट का कारण बना था, लेकिन यह घटना भी तब की है, जब दुनिया में इंटरनेट ढांचा खड़ा नहीं हुआ था।
कुल मिलाकर, सौर तूफान जैसी आपदा पृथ्वी के लिए भले नई न हो, लेकिन आधुनिक दुनिया के लिए बिल्कुल नई बात होगी। आज पूरा जीवन बिजली और इंटरनेट पर आधारित होता जा रहा है। बड़े नेटवर्क और बड़े ग्रिड पर हम ज्यादा से ज्यादा निर्भर होते जा रहे हैं। यात्रा से लेकर अस्पताल तक, बहुत कुछ बिजली और इंटरनेट आधारित है, तो हमें तैयारी इस तरह से करनी चाहिए कि एक ही बार में पूरा ढांचा जवाब न दे जाए। क्या छोटे ग्रिड और लोकल नेटवर्क का तंत्र खड़ा नहीं किया जा सकता? जरूरत पड़ने पर ग्रिड और नेटवर्क को अलग-अलग करने की सुविधा वाला ढांचा खड़ा करना चाहिए? हर सुविधा की पाइप लाइन, तार और बेतार व्यवस्था पर हमें समय रहते सोचना होगा। इस आपदा की आशंका हमें पृथ्वी के प्रति ज्यादा सजग होने के लिए प्रेरित कर रही है। एक संरक्षित-सुरक्षित पृथ्वी ही हमारी मदद करेगी।


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