लोकप्रियता की लड़ाई
अतिरिक्त समाज के हाशिये पर पड़े आखिरी नागरिक के हितों की रक्षा की जिम्मेदारी है, उन्हें अपनी ही साख की लड़ाई लड़नी पड़ रही
टीआरपी की आपसी होड़, उसको लेकर पैदा हुए विवाद, कोई आज की बात नहीं हैं। यह काफी पुराना मसला है। हां, आज से पहले कभी इसको इतनी गंभीरता से नहीं लिया गया। दरअसल, पिछले कुछ पखवाड़ों के घटनाक्रमों ने यह आशंका पैदा की है कि टीआरपी का आधार पत्रकारीय प्रतिस्पद्र्धा से अर्जित लोकप्रियता नहीं, बल्कि दूसरे तमाम खेल हैं। निस्संदेह, न्यूज मीडिया भी एक इंडस्ट्री है, और उसके ठोस आर्थिक पक्ष हैं। मगर हम नहीं भूल सकते कि इसका मूल आधार तथ्यपरक खबर है और पत्रकारिता के स्थापित मूल्यों के संरक्षण का दायित्व भी उसके कंधों पर है। पर जिस तरह से यह पूरा मामला सामने आया है, उसने पूरी रेटिंग प्रक्रिया और उसकी पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खडे़ कर दिए हैं। देश के करीब 20 करोड़ घरों में टीवी लगे हैं और दर्शक संख्या 80 करोड़ से अधिक है। ब्योरों के मुताबिक, सिर्फ 44 हजार घरों में टीआरपी मीटर लगे हुए हैं। इनमें से भी ज्यादातर मनोरंजन चैनलों के आकलन के लिएैहैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि प्रति एक लाख टीवी सेट पर सिर्फ चार की दर्शक अभिरुचि के जरिए हिंदी न्यूज चैनलों की रेटिंग होती है। अंग्रेजी न्यूज चैनलों की तो इससे भी कम पर। जाहिर है, यह बेहद छोटा सैंपल है, और इतने छोटे सैंपल में गड़बड़ियों की आशंका रहेगी ही। तब तो और, जब इस बिना पर करीब 40 हजार करोड़ रुपये के विज्ञापन-बाजार में अपने लिए बेहतर संभावनाएं तलाशनी हों।
किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र में न्यूज मीडिया को पूरी स्वायत्तता इसीलिए हासिल है, क्योंकि उसे एक प्रहरी की भूमिका मिली हुई है। यही वजह है कि उसे आत्म-नियमन के लिए प्रेरित किया जाता रहा है। इस तरह की घटनाएं न सिर्फ जनता के भरोसे को डिगाती हैं, बल्कि सरकारी हस्तक्षेप के अवसर भी पैदा करती हैं। बेहतर होगा कि इस अप्रिय विवाद से जरूरी सबक लेते हुए कुछ अन्य रेटिंग एजेंसियों की भी गुंजाइश बने, ताकि किसी एक का दबदबा न कायम हो सके और स्वस्थ व पारदर्शी तरीके से लोकप्रियता का आकलन हो सके। साफ है, विज्ञापन उद्योग को मानक आंकड़े चाहिए और टीवी मीडिया उद्योग को अपने हित में इसकी व्यवस्था करनी ही होगी। यकीनन, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की भी इन सब पर निगाह होगी। लेकिन असली चिंता न्यूज मीडिया को करनी पडे़गी, साख उसी की दांव पर है।