Chhattisgarh: बापू ने लाई छत्तीसगढ़ में आजादी की क्रांति
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीताराम
2 अक्टूबर 1869 को
पोरबंदर में जन्में
जन्मदिवस को अहिंसा दिवस
के रूप में हम हैं मनाते
भारत के वह राष्ट्रपिता कहलाते
कानून के बनकर रखवाले
अधिकारों के रक्षा के लिए
जेल में भी गए
सत्य अहिंसा के थे वे पुजारी
एक हाथ में डंडा लेकर
सूत काटते, चरखा चलाते
छाया चित्रों में उनकी छवि
स्वदेशी वस्तुओं के पालन का संदेश दिया
अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार किया
कस्तूरबा संग विवाह रचाया
जोखिम भरे आंदोलन करके
परिणाम को सम्मुख लाया
साबरमती के किनारे सत्याग्रह चलाया
साबरमती के संत कहलायें
गरीबों को मुक्ति दिलवायें
मजदूरों का भी साथ निभाया
सत्याग्रह का दिया संदेश
मजदूरों के खातिर भी लड़े
सविनय अवज्ञा करना सिखाए
अहिंसा को गले लगाया
सच्चा सत्याग्रही बनकर
20 अक्टूबर 1920 और
22 नवंबर 1933 में छत्तीसगढ़ के
धमतरी और बिलासपुर की यात्रा की
छत्तीसगढ़ के साहित्यकार
सुंदर लाल शर्मा जी को
अपना गुरु समान माना
गांधीजी के विचारों को
पंडित कुंज बिहारी चौबे जी ने
गांधी गौर गीतों में सजाया
गांधीवाद झलकती हैं छत्तीसगढ़ के
हिंदी कहानियों में
केयर भूषण जी ने गांधी के विचारों पर
उपन्यास भी लिखा
छत्तीसगढ़ की जनता ने उनके साथ
अंग्रेजी शिक्षा का भी बहिष्कार किया
द्वारिका प्रसाद तिवारी जी ने देवता
बनकर आए गांधी जैसे
कविता भी लिख डाले
गांधी विचारधारा से ओत-प्रोत
रहा छत्तीसगढ़ सारा
आजादी की राहें सुनिश्चित कराई
असहयोग आंदोलन को सक्रिय बनाए
भारत छोड़ो आंदोलन करके
अंग्रेजों की दास्तान से मुक्ति दिलवाई
कृष्णा मानसी
व्याख्याता