एक और महामारी: कोरोना महामारी से जूझ रहे देश में ब्लैक फंगस ने पसारे पैर, इसकी चपेट में आकर सैकड़ों लोग गवां चुके जान

कोरोना महामारी

Update: 2021-05-22 17:10 GMT

कोरोना वायरस से उपजी महामारी कोविड से जूझ रहे देश के सामने ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमाइकोसिस नामक बीमारी ने किस तरह एक नई समस्या खड़ी कर दी है, इसका प्रमाण है एक के बाद एक राज्यों की ओर से उसे महामारी घोषित किया जाना। ब्लैक फंगस को केवल महामारी घोषित करना ही पर्याप्त नहीं, क्योंकि आवश्यकता ऐसे उपाय करने की भी है कि कैसे लोग इस बीमारी की चपेट में आने से बचे रहें और यदि दुर्भाग्य से आ भी जाएं तो उनका समय रहते सही उपचार हो सके। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि अभी तक करीब सवा सौ कोरोना मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं और कई की आंखों की रोशनी चली गई है। इनमें से कई ऐसे भी हैं, जो कोरोना संक्रमण से उबर चुके थे। यह ठीक है कि ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किए जाने से एक तो सभी मरीजों का विवरण भारत सरकार के पास उपलब्ध रहेगा और दूसरे, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आइसीएमआर के दिशानिर्देशों के हिसाब से इलाज हो सकेगा, लेकिन इसी के साथ यह भी देखा जाना चाहिए कि किन कारणों से महामारी का रूप धारण कर चुकी यह बीमारी सिर उठा रही है? इन कारणों से न केवल आम लोगों को अवगत कराया जाना चाहिए, बल्कि चिकित्सक समुदाय को भी। जागरूकता बढ़ाने की जरूरत इसलिए अधिक है, क्योंकि कोरोना गांवों तक फैल गया है।

नि:संदेह इसके कारणों की तह तक भी जाना होगा कि ब्लैक फंगस ने भारत में ही इतना कहर क्यों मचाया है? हालांकि यह बीमारी ऐसे कोरोना मरीजों को अपनी चपेट में लेती है, जो मधुमेग रोगी होते हैं और भारत में सबसे अधिक मुधमेह रोगी हैं, लेकिन एक अन्य कारण कोविड के उपचार के दौरान कुछ दवाओं का अनियंत्रित इस्तेमाल भी है। कम से कम अब तो यह सुनिश्चित किया जाए कि चिकित्सक इससे भली तरह अवगत हो जाएं कि कोविड उपचार के दौरान किन दवाओं के इस्तेमाल में बहुत सावधानी बरतनी है? कोरोना मरीजों की जान तो बचानी ही है, लेकिन इस कोशिश में उपचार के दौरान या फिर उसके बाद ऐसी कोई गफलत न होने पाए कि मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आ जाए। यह अच्छा है कि ब्लैक फंगस के उपचार में कारगर दवा की तंगी को देखते हुए कुछ और कंपनियों को उसका उत्पादन करने की मंजूरी दे दी गई है, लेकिन इसी के साथ यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि देश के विभिन्न हिस्सों में यह दवा यथाशीघ्र उपलब्ध भी हो। वास्तव में बात तब बनेगी, जब दवा के उत्पादन के साथ उसकी आपूíत पर भी प्राथमिकता के आधार पर ध्यान दिया जाएगा।
क्रेडिट बाय दैनिक जागरण 
Tags:    

Similar News

-->