विश्व राजनीति में यह भारत की बढ़ती महत्ता का ही प्रमाण माना जायेगा कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली कहे जाने वाले देश के रक्षामन्त्री श्री लायड जेम्स आस्टिन ने इस पद पर बैठने के बाद सबसे पहले भारत की यात्रा करना ही जरूरी समझा। अमेरिका में डोनाल्ट ट्रम्प की बिदाई के बाद राष्ट्रपति पद पर आसीन हुए डेमोक्रेटिक पार्टी के श्री जो बाइडेन ने भारत के साथ अपने रक्षा सम्बन्धों को सर्वाधिक प्रमुखता पर रखते हुए अपने रक्षामन्त्री से भारत को जो सन्देश भिजवाया है वह एशिया प्रशान्त क्षेत्र में सामरिक सन्तुलन बनाये रखने के लिए समान विचारधारा वाले देशों के बीच अधिकाधिक सहयोग व रक्षा साझेदारी का है। भारत को इसमें मात्र संशोधन यही करना है कि प्रशान्त सागर से मिलता हिन्द महासागर क्षेत्र पूरी तरह तनाव मुक्त और सामरिक स्पर्धा से मुक्त इस प्रकार हो कि इस क्षेत्र के सभी देश पूर्ण शान्तिपूर्ण माहौल में रह सकें। यह बेवजह नहीं है कि सत्तर के दशक में भारत अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर यह आवाज बहुत तेजी से बुलन्द करता रहता था कि हिन्द महासागर क्षेत्र को अन्तर्राष्ट्रीय शांति क्षेत्र घोषित किया जाये। इसी क्रम में वह दियेगो गार्शिया में अमेरिका द्वारा स्थापित किये गये परमाणु अड्डे का विरोध भी करता था परन्तु इसके बाद परिस्थितियों में जो आधारभूत परिवर्तन आया और सोवियत संघ के बिखरने के बाद जिस तरह शक्ति सन्तुलन एकल ध्रुवीय होने के बाद चीन के शक्ति रूप में उदय होने से गड़बड़ाया उसने एशिया-प्रशान्त महासागरीय क्षेत्र के सामरिक भूगोल को बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी।