पांच लाख के बाद
यह राहत की बात है कि कोरोना का असर अब कम पड़ता दिख रहा है। रोजाना संक्रमण का आंकड़ा डेढ़ लाख से नीचे आ जाना बता रहा है कि तीसरी लहर कमजोर पड़ने लगी है।
Written by जनसत्ता: यह राहत की बात है कि कोरोना का असर अब कम पड़ता दिख रहा है। रोजाना संक्रमण का आंकड़ा डेढ़ लाख से नीचे आ जाना बता रहा है कि तीसरी लहर कमजोर पड़ने लगी है। हालांकि यह कहना भी एकदम सही नहीं होगा कि खतरा टल गया है। अब तक की तीन लहरों का अनुभव तो यही बताता है कि जरा-सी लापरवाही भी हमें फिर से बड़े जोखिम में धकेल देती है। रोजाना संक्रमण, उपचाराधीन मरीजों और मौतों के आंकड़े कभी तेजी से बढ़ने लगते हैं तो कभी कम होते दिखते हैं और हम मान बैठते हैं कि अब महामारी खात्मे की ओर है। लेकिन हकीकत में अब तक ऐसा हुआ नहीं। फिर महामारी विशेषज्ञ भी अगली लहर के खतरे को लेकर कुछ कह पाने की स्थिति में हैं नहीं। इसलिए सतर्क रहने जरूरत तो है। यह हम देख ही चुके हैं कि दूसरी लहर आने के पहले कोरोना से मुक्ति का दावा किया जाने लगा था और इसी के बाद लोग बेहद लापरवाह हो गए थे। इसका असर दूसरी लहर के दो महीनों में हुई दो लाख मौत के रूप में सामने आया था।
भारत में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा अब पांच लाख के ऊपर निकल चुका है। हालांकि इस आंकड़े को लेकर भी विवाद कम नहीं रहे हैं। कई अध्ययनों में दावा किया जाता रहा है कि भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या सरकारी आंकड़ों की तुलना में कई गुना ज्यादा है। वैसे कोरोना संक्रमण से मरने वालों की सही-सही संख्या का पता लगा पाना व्यावहारिक तौर पर इसलिए भी संभव नहीं दिखता क्योंकि हमारे पास ऐसा पुख्ता और सटीक तंत्र ही नहीं है। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल किसी से छिपा नहीं है। हकीकत तो यह है कि कोरोना से मौत के जितने मामले सरकारी और निजी अस्पतालों के रजिस्टरों में दर्ज हैं, वे ज्यादातर शहरी इलाकों के ही हैं।
महामारी के इन दो सालों में गांवों में कितने लोगों की मौत कब और कैसे हुई होगी, कह पाना मुश्किल है। पर सरकारी आंकड़े भी कम नहीं हैं। तीन अक्तूबर 2020 तक एक लाख, उसके बाद 28 अप्रैल 2021 तक दो लाख, 28 अप्रैल से 24 मई 2021 तक तीन लाख, दो जुलाई 2021 तक चार लाख और चार फरवरी 2022 तक पांच लाख लोग मारे गए। यानी 28 अप्रैल से दो जुलाई 2021 के बीच दो लाख लोग मारे गए थे। इससेसहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि ग्रामीण इलाकों में महामारी ने कैसा कहर ढहाया होगा!
वैसे अब हम महामारी के साथ रहने के आदी हो चले हैं। जिन-जिन राज्यों में रोजाना संक्रमण और उपचाराधीन मामलों की संख्या घटने लगी है, वे सभी अपने यहां प्रतिबंधों में ढील दे रहे हैं। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की सलाह पर दिल्ली सरकार ने लगभग सारे प्रतिबंध हटा लिए हैं। स्कूल, कालेज, विश्वविद्यालयों सहित सभी शिक्षण संस्थान, जिम, तरणताल, बाजार आदि खोल दिए हैं। यानी कोशिश इस बात की है कि जनजीवन वैसा ही सामान्य हो चले जैसा महामारी के पहले था। हालांकि एक अच्छी बात यह भी है कि आबादी के बड़े हिस्से का टीकाकरण हो चुका है। पर यह नहीं भूलना चाहिए कि हम कोरोना से पहले की स्थिति में सिर्फ तभी लौट पाएंगे, जब नागरिक समुदाय अपनी जिम्मेदारी समझते हुए कोरोना से बचाव के नियमों का पालन करेगा। वरना अगली लहर को आने से कोई रोक नहीं पाएगा।