By लोकमत समाचार सम्पादकीय
गृह मंत्री अमित शाह ने बारामूला में हजारों कश्मीरियों को संबोधित किया और अपने भाषण में आंकड़ों का अंबार लगाकर मोदी-शासन की सफलता का बखान किया लेकिन उन्होंने अब्दुल्ला, मुफ्ती और नेहरु-परिवार के शासन को निकम्मा सिद्ध करने की कोशिश की, यह बात तीनों परिवारों को काफी चुभ रही है। नेशनल कांफ्रेंस के नेता डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने तो तुरंत उसका जवाब देने की कोशिश की। महबूबा मुफ्ती और कांग्रेस भी चुप नहीं बैठेंगे।
अब्दुल्ला ने शाह की तरह न तो कोई आरोप लगाया है और न ही केंद्र की भाजपा सरकार पर कोई आक्रमण किया है। उन्होंने अपने बयान में सिर्फ यह बताया है कि उनकी पार्टी नेशनल कांफ्रेंस ने श्रीनगर में कुल 26 साल राज किया है और उन वर्षों में उसने कश्मीर का काया-पलट कर दिया है। उनकी सरकार ने नए-नए कल-कारखाने लगवाए, कई कॉलेज और विश्वविद्यालय बनवाए, अस्पताल खुलवाए, पंचायती राज स्थापित किया, बिजलीघरों और बांधों का निर्माण करवाया। लाखों लोगों को रोजगार दिया और लोक-कल्याण के लिए कई नए संगठन खड़े किए हैं।
फारूक अब्दुल्ला ने जो तथ्य और आंकड़े पेश किए हैं, उनकी प्रामाणिकता पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है लेकिन यह भी तथ्य है कि कश्मीर को केंद्र की सरकारों ने जितनी मदद दी है, उसमें से कुछ हिस्सा नेताओं और अफसरों की जेब में जाता रहा है। हालांकि यह किस सरकार में नहीं होता? लेकिन अमित शाह और देश के अन्य सभी नेतागण यह भी सोचें कि अपने विरोधियों की सिर्फ भर्त्सना करना क्या ठीक है? यदि अमित शाह उनकी भर्त्सना करते-करते यह भी, चाहे दबी जुबान से ही, कह देते कि कश्मीर-जैसी बीहड़ जगह में इन पार्टियों का कुछ न कुछ अच्छा योगदान रहा है तो अब जो दंगल शुरू हो रहा है, वह नहीं होता।