बहरहाल, कुछ दिनों से इसकी संभावना थी। सरकार के पास कोई खास उपाय नहीं है, क्योंकि उसका ज्यादा ध्यान राजस्व पर है, ताकि वित्तीय घाटा ज्यादा बढ़ने न पाए। पिछले दिनों दैनिक जरूरत की चीजों पर जीएसटी लगाकर या बढ़ाकर उसने अपनी कमाई बढ़ाने का उपाय किया है, अत: महंगाई घटाने की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक पर आ पड़ी है। वैसे बाजार में कुल मिलाकर खुशी है। शुक्रवार को मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा से पहले ही शेयर बाजार मजबूती के साथ खुले। बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 122 अंकों के फायदे के साथ खुला। कमोबेश यही स्थिति निफ्टी में भी रही। दरअसल, बढ़ती महंगाई में ज्यादातर कंपनियां अपना फायदा देख रही हैं। रेपो रेट बढ़ने के बावजूद शेयर बाजार में उछाल की एक वजह यह भी है कि बाजार आश्वस्त हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्र्रास्फीति से जूझ रही है और इसे नियंत्रण में लाना जरूरी है, लेकिन क्या इसमें रिजर्व बैंक को कामयाबी मिलेगी? कर्जमाफी और बड़ी कंपनियों को मिल रही राहत का फायदा क्या आम लोगों को मिल पा रहा है? अनेक देशी-विदेशी बड़ी कंपनियों से राजस्व की कमजोर उगाही को लेकर भी शिकायतें हैं। ऐसे में, एक सवाल यह भी है कि रेपो रेट में बढ़ोतरी से आम लोगों को कितना फायदा होगा? क्या रेपो रेट को और बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी? फिलहाल भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर कायम रखा है। आंकड़े कुछ भी कहें, लेकिन जमीनी स्तर पर महंगाई की चुभन कुछ ज्यादा ही है।
आम आदमी के लिए दोतरफा परेशानी है, क्योंकि रेपो रेट में वृद्धि से कर्ज महंगा होना तय है। होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन की किस्तों में और इजाफा होगा। आंकड़ों में समझें, तो अगर आपकी किस्त 24,168 रुपये है, तो बढ़कर 25,093 रुपये पर पहुंच जाएगी। गवर्नर ने माना है कि देश की अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है, लेकिन अभी जो वैश्विक हालात हैं, राहत का ठोस अनुमान कोई नहीं लगा सकता। कई देश हैं, जहां महंगाई दर भारत से बहुत ज्यादा है, पर जो अमीर देश हैं, वहां सरकार आम आदमी के पीछे खड़ी है, जबकि अन्य देशों में यह मुमकिन नहीं है। चुनौतियों के बावजूद देश की विकास दर 7.2 पर बरकरार है। वैसे वैश्विक हालात को देखते हुए भारत को अपना मुद्रा भंडार बचाकर रखना होगा। खजाना ज्यादा खोलने के अपने खतरे हैं, पर यह प्रबंध किया ही जा सकता है कि यह जब भी और जितना भी खुले, लाभ आम लोगों तक पहुंचे।