दुनिया का पहला 'रोबोमैन'! ये शख्स आधा इंसान और आधा मशीन, जानें कैसे हुआ संभव

टेक्नोलॉजी के मामले में आज दुनिया काफी आगे निकल चुकी है

Update: 2021-04-03 13:55 GMT

टेक्नोलॉजी के मामले में आज दुनिया काफी आगे निकल चुकी है। हालांकि वैज्ञानिक तकनीक के सहारे पूरी तरह इंसान तो नहीं बना सकते, लेकिन आधा इंसान आधा रोबोट तो बना ही सकते हैं और ऐसा हुआ भी है। ब्रिटेन के एक वैज्ञानिक ने खुद को 'रोबोमैन' के रूप में बदल लिया है। उन्हें दुनिया का पहला रोबोमैन कहा जा रहा है। इस वैज्ञानिक की पहचान डॉक्टर पीटर स्कॉट मॉर्गन के रूप में हुई है। वह 62 साल के हैं। खुद को जिंदा रखने के लिए उन्होंने दुनिया के सामने एक अनोखी मिसाल पेश कर दी है। 

दरअसल, डॉ. पीटर स्कॉट मॉर्गन को मोटर न्यूरॉन नाम की एक घातक बीमारी थी, जिसके कारण उनकी मांसपेशिया बर्बाद हो रही थीं। उनके शरीर के कई अंग काम करना बंद करने लगे थे। इसके बाद उन्होंने विज्ञान का सहारा लिया और रोबोटिक्स का उपयोग करके अपने जीवन को एक नया आयाम दिया। अब डॉ. पीटर मशीनों की मदद से वे सभी काम आसानी से कर लेते हैं, जिन्हें कोई स्वस्थ व्यक्ति करता है।  

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉ. मॉर्गन को साल 2017 में मांसपेशियों को बर्बाद करने वाली इस दुर्लभ बीमारी 'मोटर न्यूरॉन' का पता चला था। इसके बाद 2019 में उन्होंने खुद को आधा इंसान और आधे रोबोट में ढालने का काम शुरू किया और आज वह न सिर्फ जिंदा हैं बल्कि दुनिया के लिए एक मिसाल बन गए हैं। वह कहते हैं, 'मैं हमेशा से ऐसा मानता रहा हूं कि जीवन में ज्ञान और तकनीक के सहारे बहुत सी खराब चीजों को बदला जा सकता है।' 

आधा इंसान और आधे रोबोट बनने के दौरान डॉ. मॉर्गन ने कई ऐसी चीजें ईजाद की हैं, जो अविश्वसनीय हैं। उन्होंने ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बॉडी लैंग्वेज को बताने की तकनीकी ईजाद की है। साथ ही उन्होंने आई-ट्रैकिंग तकनीक की भी खोज की है, जो कई कंप्यूटरों को नियंत्रित करने में सक्षम है। 

हालांकि डॉ. मॉर्गन अब वेंटिलेटर से ही सांस लेते हैं। उन्होंने बताया कि आधा इंसान और आधा मशीन बनाने या यूं कहें कि बनने की प्रेरणा उन्हें साइंस फिक्शन कॉमिक के कैरेक्टर साइबोर्ग से मिली है। साइबोर्ग आधा इंसान और आधा रोबोट होता है। उनकी निजी जिंदगी की बात करें तो वह अपनी 65 वर्षीय पार्टनर फ्रांसिस के साथ रहते हैं और बेहद खुश हैं। 

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