बंदर की वजह से ढही दीवार तो हुई महिला की मौत, अब बंदर के खिलाफ करना चाहते है FIR

वन विभाग के अधिकारी तीन दिन बाद पहुंचे, तब तक महिला का अंतिम संस्कार कर दिया गया था. पोस्टमार्टम भी नहीं हो सका.

Update: 2022-02-08 04:38 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं, जिसमें कितना भी हाथ-पैर मार लो लेकिन आपको निराशा ही हाथ लगती है. कुछ ऐसा ही झारखंड के जामताड़ा में हुई, जब एक दीवार एक बंदर की वजह से ढह गई और उसमें एक महिला की मौत हो गई. इस मामले में जब परिजनों ने वन विभाग से मुआवजे की मांग की तो एफआईआर की मांग की गई. पुलिस के पास प्राथमिकी दर्ज कराने पहुंचे तो उन्होंने घटना के आरोपी व गवाह लाने के लिए कहा. महिला के मौत के बाद परिवार उस बंदर को कहां से ढूंढे, जिसकी वजह से मौत हुई. इतना ही नहीं, घटना की सूचना मिलने के बाद वन विभाग के अधिकारी तीन दिन बाद पहुंचे, तब तक महिला का अंतिम संस्कार कर दिया गया था. पोस्टमार्टम भी नहीं हो सका.

बंदर की वजह से ढही दीवार तो महिला की हुई मौत
अखबार के मुताबिक, इसी महीने चार फरवरी को बंदर के कूदने से जामताड़ा स्थित कुंडहित के बागडेहरी गांव में एक दीवार ढह गई. इसके मलबे में दबकर एक 35 वर्षीय महिला कविता मंडल की मौत हो गई. इस बारे में सूचित करने के बाद वन विभाग तीन दिन बाद घटनास्थल पर पहुंची. मृत महिला के परिजनों ने मुआवजे की मांग की तो वन विभाग ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट और एफआईआर की कॉपी दिखाने के लिए कहा. परिवार के लोग एफआईआर दर्ज कराए तो किस पर कराए? उस बंदर को कहां से खोजकर लाए, जिसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जाए. महिला के पति आशीष मंडल इस मामले में बेहद परेशान हैं और सोच में पड़ गए कि पत्नी की मौत के बाद मुआवजा तक नहीं मिल पा रहा.
मौत के बाद दर-दर भटकने पर मजबूर हुए परिजन
एफआईआर कराने की कोशिश करने पर पुलिस का कहना है कि तीन दिन पहले बैक डेट पर कैसे एफआईआर दर्ज कर दी जाए. इतना ही नहीं, बंदर की वजह से हुई मौत पर तमाम सवाल किए जा रहे. बंदर कहां से आया, कैसे आया और घटनास्थल के दौरान कौन मौजूद था, किसने देखा आदि सवालों के जवाब भी नहीं थे. परिवारजनों का कहना है कि वन विभाग तीन दिन बाद यह सब बता रहे हैं, जब महिला का दाह संस्कार कर दिया गया है. वन विभाग की टीम घटना वाले दिन पहुंचते तो ऐसी समस्या का सामना न करना पड़ता.
अक्सर इस इलाके में बंदरों की वजह झेलनी पड़ती है परेशानी
कुंडहित के स्थानीय लोगों को अक्सर बंदर काट लेता है, जिसके फलस्वरूप वन विभाग के अधिकारी जांच करते हैं और पीड़ितों को राहत में 15-15 हजार रुपए का मुआवजा दे दिया जाता है. मृत महिला के परिजनों का कहना है कि घायलों को मुआवजा, लेकिन मृतकों के परिजन दर-दर भटकने पर मजबूर हैं. घटना के दौरान मौजूद बंदर को कहां से ढूंढ कर लाया जाए.


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