अजीबोगरीब: सोने की रहस्यमयी बीमारी, सड़क पर चलते-चलते ही सो जाते हैं लोग

नींद कई लोगों की कमजोरी होती है. जब नींद आती है तो इंसान सब कुछ छोड़कर सोने लगता है.

Update: 2020-12-13 08:22 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| नींद कई लोगों की कमजोरी होती है. जब नींद (Sleep) आती है तो इंसान सब कुछ छोड़कर सोने लगता है. कोई भी इंसान तब तक सोना चाहता है जब तक उसकी नींद पूरी ना हो जाए. सभी के सोने का अलग- अलग टाइम (Time) होता है. कोई दो-चार घंटे सोते हैं तो कुछ लोग सात-आठ घंटे की भरपूर नींद लेते हैं. लेकिन क्या आप ऐसी कल्पना कर सकते हैं कि लोग चलते-चलते सड़क पर सो जाएं.

सोने की रहस्यमयी बीमारी

कजाकिस्तान में एक ऐसा गांव है जहां के लोग चलते हुए सड़क पर हीं सो जाते हैं. इतना ही नहीं ये लोग सोने के बाद भी वो कई दिनों तक नींद में रहते हैं. इस गांव का नाम कलाची है. कलाची गांंव में लोग बहुत ज्यादा सोते हैं. दरअसल इस गांव के लोग सोने की रहस्यमयी बीमारी से ग्रस्त हैं. ये लोग एक बार सोने के बाद महीनों तक सोए रहते हैं. कई दिनों तक सोने का पहला केस 2010 में आया था. जब यहां कुछ बच्चे अचानक से स्कूल में गिर गए थे और वहीं सोने लगे थे. फिर इस गांव में एक के बाद एक इस अद्भुत बीमारी के शिकार लोग सामने आने लगे.

'स्लीपी होलो' वाला गांव

वैज्ञानिक इस गांव में इस सोने की बीमारी पर लगातार रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन अब तक इस बीमारी के बारे में वैज्ञानिकों को कुछ भी पता नहीं चल सका है. कई डॉक्टर और वैज्ञानिक इस में लगे हैं लेकिन इस बीमारी के बारे में पता नहीं लगा सके हैं. वो भी इस बात से हैरान हैं कि यहां के लोग आखिर इतने दिनों तक सोए कैसे रहते हैं. इस गांव को अब 'स्लीपी होलो' कहा जाने लगा है.

इस अद्भुत बीमारी वाले लोगों के गांव की आबादी करीब 600 लोगों की है. इस वक्त गांव के 14 फीसदी से ज्यादा लोग इस रहस्यमयी बीमारी से परेशान हैं. सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि जिन्हें यह बीमारी है उनको ये पता भी नहीं चलता कि वो सो गए हैं. यहां के लोग सड़क झाड़ियों कहीं भी सोते हुए मिल जाएंगे. मार्केट, स्कूल अथवा सड़क पर भी लोग चलते-चलते सो जाते हैं. उसके बाद वह कई दिनों तक सोते रहते हैं.गौरतलब है कि इस गांव के पास कभी यूरेनियम की खादान हुआ करती थी. खादान में जहरीला रेडिएशन भी होता था. माना जा रहा है कि हो सकता है कि इस खदान की वजह से लोगों को अब ऐसी अजीबो गरीब बीमारी ने जकड़ लिया हो. लेकिन आश्चर्य है कि अभी रेडिएशन की कोई खास मात्रा इस गांव में मौजूद नहीं है.


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