विश्व में जब भी बदलाव आया है तो वह वकीलों के द्वारा आया है: कपिल सिब्बल

Update: 2023-03-12 09:10 GMT

दिल्ली: कांग्रेस से राज्यसभा सांसद और मशहूर वकील कपिल सिब्बल ने आज जंतर-मंतर पर इंसाफ के सिपाही नामक वेबसाइट लांच की। इसमें बड़ी संख्या में आम नागरिक मौजूद रहे सिंपल अपनी इस मुहिम के जरिए भारत के कोने कोने में सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर सब को न्याय मिले इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। इंसाफ के सफाई वेबसाइट लॉन्च करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि विश्व में इतिहास में उठाकर आप देखो जब जब भी दुनिया में बदलाव आया है, वह वकीलों के द्वारा आया है। अमेरिकन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस, अब्राहम लिंकन, जेफरसन, फ्रेंच रिवॉल्यूशन की बुनियादी वकीलों ने बनाई जो वार ऑफ इंडिपेंडेंस का गाना गाया था तो उसमें भी 26 वकील थे। हिंदुस्तान के स्वतंत्रत संग्राम की अगर बात करें तो महात्मा गांधी, गोविंद बल्लभ पंत, सीआर दास, मोतीलाल नेहरू, कई ऐसे लोग थे।

आगे सिब्बल ने कहा कि मैं सोचता हूं कि भारत इस पोर्ट पर पहुंच गया है कि हमें बदलाव की जरूरत है, अगर हम राजनीतिक दलों के पास जाएंगे तो हर एक राजनीतिक दल की अपनी-अपनी विचारधारा है। जब मैंने हिंदुस्तान के संविधान का प्रियम्बल पड़ा तो उसमें मैंने देखा कि संविधान की बुनियाद इंसाफ है। हिंदुस्तान का संविधान का प्रियम्बल पढ़ोगे तो उसमें लिखा है सब लोगों को सब नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय मिलेगा इसका कर्तव्य किया गया है। यह हमारे संविधान के प्रियम्बल में लिखा गया है।

हमारे देश में सबको सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय मिल रहा है क्या ? सविधान किसी को भी उसके धर्म और जाति के नजरिए से नहीं देखता लेकिन हिंदुस्तान की राजनीति में इस समय हम इंसान को इंसान के नजरिए से नहीं देखते, बल्कि उसको उसकी धर्म, जाति के नजरिए से देखा जाता है जो संविधान के खिलाफ है। 140 करोड़ की आबादी वाले इस देश में 80 करोड़ ऐसे लोग हैं जिनकी आमदनी हर माह 5 हजार से भी कम है यह कैसा आर्थिक न्याय है? क्या हमारे प्रधानमंत्री जी को नहीं पता कि इस देश में 80 करोड़ लोग प्रतिमाह 5000 से ज्यादा नहीं कमाते। 100 लोग इस देश में ऐसे हैं जिनकी संपत्ति 54 लाख करोड़ है। यह कैसी आर्थिक समानता है।

शिक्षा पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कपिल सिब्बल ने कहा हमारे देश में अच्छी शिक्षा नहीं है, अच्छे स्वास्थ्य सेवाएं नहीं है, अध्यापकों का स्कूलों में अच्छा वेतन नहीं है, कुछ टीचर्स कॉन्ट्रैक्ट पर है जिन्हें सिर्फ अपनी नौकरी की फिक्र रहती है तो वह बच्चों को क्या पढ़ाएंगे। जब मैं एचआरडी मिनिस्टर था तो मैंने कहा था कि हर बच्चे के हाथ में आकाश टैबलॉयड होना चाहिए और हर स्कूल को ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क से जोड़ा जाना चाहिए। जिससे दिल्ली में बैठा हुआ शिक्षक देश के किसी भी कोने में पढ़ा सके। आगे इस देश में 80 प्रतिशत शिक्षक महिलाएं हैं जो घर में अपने बच्चों को भी पढ़ाती है और स्कूल में अपने छात्रों को भी पढ़ाती है। इस पूरे देश में लड़कियों के लिए अलग स्कूल और विद्यालय खुलना चाहिए।

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