आज अंतरराष्ट्रीय खुशहाली दिवस, होगी साफ-सफाई तो बदलेगी सूरत, सेहत के साथ बढ़ेगा अपना भारत

दिल्ली विश्वविद्यालय के मोती लाल नेहरू कॉलेज के विद्यार्थी अपनी पढ़ाई के साथ-साथ साफ-सफाई पर ध्यान देते हुए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हैं।

Update: 2022-03-20 03:14 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दिल्ली विश्वविद्यालय के मोती लाल नेहरू कॉलेज के विद्यार्थी अपनी पढ़ाई के साथ-साथ साफ-सफाई पर ध्यान देते हुए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हैं। वे ना केवल उन्हें रोजगार दिलाने में मदद कर रहे हैं, बल्कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए समाज के उत्थान में भी योगदान दे रहे हैं। कॉलेज की इनेक्ट्स सोसायटी के तहत छात्रों ने प्रोजेक्ट स्नेह शुरू किया हुआ है, जिसके तहत महिलाओं से दुबारा इस्तेमाल होने वाले पर्यावरण हितैषी डायपर बनवाए जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य महिलाओं को सशक्त बनाना भी है।

अब तक 250 से अधिक डायपर बनाकर बेचे जा चुके हैं। एक डायपर की कीमत 200 से 280 रुपये तक है। इनसे हजारों में आय अर्जित हुई है। इससे महिलाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। प्रोजेक्ट की जनसंपर्क प्रमुख व कॉलेज की दूसरे वर्ष की छात्रा शिविका गुप्ता ने बताया कि यह प्रोजेक्ट ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के खुले में शौच को रोकने और स्वच्छ आदतों को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है। परियोजना का उद्देश्य समुदाय के बीच स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में जागरूकता पैदा करना है, ताकि वे बुनियादी स्वच्छता आदतों को अपना सकें।
प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं, पर्यावरण हितैषी भी
प्रोजेक्ट के लिए गैर सरकारी संगठन स्त्रीबल की सदस्यों से मदद ली जा रही है। यह महिलाएं कपड़े से तैयार होने वाले डायपर तैयार करती हैं। 250 रुपये के यह डायपर साबुन से धोकर कम से कम छह माह तक इस्तेमाल किया जा सकता है। बाजार में मिलने वाले डायपर में प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है और वह पर्यावरण हितैषी नहीं होते हैं, उन्हें नष्ट नहीं किया जा सकता है। वह मंहगे भी होते हैं। शिविका ने बताया कि हमारे कपड़े से तैयार डायपर पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ किफायती भी हैं। यह बच्चों की कोमल त्वचा के लिए भी सुरक्षित हैं।
डायपर बेचकर कमाए 52 हजार रुपये
शिविका ने बताया कि चाणक्यपुरी, मॉडल टाउन, कीर्ति नगर, लाल बाग, ओखला गांव और हौज खास से इसकी शुरुआत की गई है। डायपर बेचकर करीब 52 हजार रुपये कमाए जा चुके हैं। इससे महिलाओं को भी रोजगार के अवसर मिले हैं। कमाई का एक हिस्सा महिलाओं की भी मिलता है। अब छात्र-छात्राएं इन्हें बेचने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का सहारा ले रहे हैं।
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