आज लांच करेगी केंद्र सरकार अपना ई-कामर्स प्लेटफार्म, देश के पांच बड़े शहरों से होगी शुरुआत

अमेजन और फ्लिपकार्ट के मुकाबले के लिए सरकार आज से दिल्ली- एनसीआर समेत देश के पांच शहरों से ओपेन नेटवर्क डिजिटल कामर्स (ओएनडीसी) प्लेटफार्म का पायलट प्रोजेक्ट लांच करने जा रही है।

Update: 2022-04-29 02:26 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेजन और फ्लिपकार्ट के मुकाबले के लिए सरकार आज से दिल्ली- एनसीआर समेत देश के पांच शहरों से ओपेन नेटवर्क डिजिटल कामर्स (ओएनडीसी) प्लेटफार्म का पायलट प्रोजेक्ट लांच करने जा रही है। जिन चार अन्य शहरों से इसकी शुरुआती होगी, उसमें बेंगलुरु, भोपाल, शिलांग और कोयम्बटूर हैं। इस प्लेटफार्म पर ना केवल लोग आनलाइन शापिंग कर सकेंगे बल्कि इसके माध्यम से आप सामान भी बेच सकेंगे। इस प्लेटफार्म पर एक साबुन की टिकिया से लेकर एयरलाइन का टिकट खरीद और बेच सकेंगे।

छोटे कारोबारियों को मिलेगा ई-कामर्स का लाभ

31 दिसंबर, 2021 को निजी क्षेत्र के नेतृत्व वाली गैर-लाभकारी कंपनी के तौर पर ओएनडीसी का पंजीकरण हुआ था। कई बड़ी कंपनियां पहले ही ओएनडीसी के साथ जुड़ चुकी हैं। ओएनडीसी के कामकाज में तेजी लाने के लिए सरकार सलाहकार परिषद का गठन कर चुकी है। इसमें इन्फोसिस के नंदन नीलेकणी और नेशनल हेल्थ अथारिटी के सीईओ आरएस शर्मा शामिल हैं। अभी तक केवल बड़े खिलाड़ी ही ई-कामर्स का लाभ उठा पा रहे हैं जबकि छोटे कारोबारी इससे बाहर हैं।

अमेजन और फ्लिपकार्ट का आनलाइन मार्केट पर कब्जा

बता दें कि अमेजन और फ्लिपकार्ट भारत में संयुक्त रूप से अब तक 24 अरब डालर का निवेश कर चुकी है। 80 फीसदी आनलाइन मार्केट पर इन दोनों कंपनियों का कब्जा है। जिस तरह से ई-कामर्स कंपनियों का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है, उससे किराना दुकानदार डरे हुए हैं। यह बात ठीक है कि देश के कुल रिटेल मार्केट का मात्र छह फीसदी आनलाइन व्यवसाय है, लेकिन इनको लगता है कि जिस तरह अमेरिका और यूरोपीय देशों में इन कंपनियों ने छोटे दुकानदार को खत्म कर दिया है, वैसे ही भारत में उनका अस्तित्व नहीं बचेगा। उनकी इन्हीं चिंताओं को दूर करने के लिए ओएनडीसी की शुरुआत की जा रही है।

क्या है ओपेन नेटवर्क डिजिटल कामर्स का उद्देशय

ओपन टेक्नोलाजी नेटवर्क का मुख्य उद्देश्य एक सरल आनलाइन प्लेटफार्म बनाना है जहां व्यापारी और ग्राहक छोटी से लेकर बड़ी चीज तक खरीद और बेंच सकें। सरकार की इस योजना के पीछे देश के रीटेल मार्केट पर कब्जा जमा चुकी कंपनियों से टक्कर लेना है। इन कंपनियों के आनलाइन वर्चस्व के कारण आज छोटे व्यापारियों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। देश में बड़ी तादाद में मौजूद छोटी दुकानों को रीटेल मार्केट में अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है।

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