Delhi: शहरों में कचरा निस्तारण बड़ी चुनौती है। इसके समाधान के लिए केंद्र सरकार कूड़े से बिजली बनाने की योजना को बढ़ावा दे रही है। इसके तहत 10 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले शहरों में संयंत्र लगाने का प्रस्ताव है। यहां 84 मेगावाट क्षमता के चार संयंत्र पहले ही स्थापित हो चुके हैं। किसी और शहर में इतनी मात्रा में कचरे से बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा है। मुंबई में मात्र छह मेगावाट क्षमता का संयंत्र बन रहा है। पूरे राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को देखें, तो दिल्ली से ज्यादा सिर्फ उत्तर प्रदेश में 98 मेगावाट बिजली कचरे से बन रही है। इस तरह से दिल्ली अन्य शहरों व राज्यों के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर रही है।
प्रतिदिन 65 सौ टन कूड़े का निस्तारण
दिल्ली में इस समय कचरे से ऊर्जा बनाने के चार संयंत्र ओखला, गाजीपुर, बवाना और तेहखंड में स्थित हैं। इनसे प्रतिदिन 65 सौ टन कूड़े का निस्तारण हो रहा है।बवाना में 2025 तक एक और संयंत्र प्रस्तावित है। इससे प्रतिदिन तीन हजार टन कूड़े का निस्तारण होगा और 35 मेगावाट बिजली बनेगी। एमसीडी क्षेत्र से प्रतिदिन 11 हजार टन कूड़ा निकलता है।
कूड़े के पहाड़ कम करने में मिलेगी मदद
चार संयंत्रों के चलने से दिल्ली में कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई कम करने में मदद मिल रही है। यहां से प्रतिदिन निकलने वाले कचरे का आधा से ज्यादा हिस्सा इन संयंत्रों में पहुंच रहा है। इससे कूड़ा निस्तारण की समस्या दूर होने के साथ ही दिल्लीवासियों को बिजली मिल रही है। संयंत्रों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव है।
59 शहरों में लगेंगे संयंत्र
बजट में 10 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले 59 शहरों में ठोस कचरा निस्तारण के लिए बिजली संयंत्र लगाने का फैसला किया गया है। पहले चरण में 25 शहरों में संयंत्र लगेंगे। लखनऊ, कानपुर, बरेली, ग्वालियर, नागपुर, ठाणे, नासिक जैसे शहर इस योजना में शामिल हैं।