सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक सुरक्षा लाभ संबंधी याचिका पर केंद्र, उबर और जोमैटो से मांगा जवाब, नोटिस जारी

सुप्रीम कोर्ट ने असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा अधिकारों की मांग करने वाली एक याचिका पर केंद्र, उबर और जोमैटो समेत अन्य एप आधारित सेवा प्रदाता कंपनियों से जवाब मांगा है।

Update: 2021-12-13 13:50 GMT

नई दिल्ली,  सुप्रीम कोर्ट ने असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा अधिकारों की मांग करने वाली एक याचिका पर केंद्र, उबर और जोमैटो समेत अन्य एप आधारित सेवा प्रदाता कंपनियों से जवाब मांगा है। इंडियन फेडरेशन आफ एप बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (आइएफएटी) की याचिका में ऐसे कामगारों के लिए प्राथमिकता के आधार पर स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व लाभ, पेंशन, वृद्धावस्था सहायता, विकलांगता भत्ता और एग्रीगेटर्स लागत पर टीकाकरण कराने जैसी कल्याणकारी योजनाएं तैयार करने की मांग की गई है।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने आइएफएटी की ओर से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की दलीलें सुनने के बाद कहा, 'हम नोटिस जारी करेंगे। मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।' जयसिंह ने कहा कि ड्राइवरों या डिलीवरी श्रमिकों को भी असंगठित श्रमिक अधिनियम की योजनाओं और श्रमिक निकाय के लिए बनाई गई सभी सामाजिक कल्याण योजनाओं के तहत कामगार घोषित करने का अनुरोध किया गया है।
उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्रों के कामगारों को मिलने वाले लाभ उन्हें भी उपलब्ध कराए जाएं। इस संबंध में उन्होंने ब्रिटेन की शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला दिया और कहा कि नौकरी के अनुबंधों का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि उबर के साथ कार्यरत व्यक्ति वास्तव में कामगार थे।
याचिका में उबर इंडिया और जोमैटो लिमिटेड के अलावा वाणिज्य और उद्योग, सार्वजनिक वितरण और इलेक्ट्रानिक्स मंत्रालय को भी पक्षकार बनाया गया है। याचिका में यह भी घोषित करने की मांग की गई है कि 'गिग वर्कर' और 'एप आधारित वर्कर' असंगठित श्रमिक अधिनियम की 'असंगठित श्रमिकों' की परिभाषा के तहत आते हैं और इसलिए वैधानिक कल्याण लाभों के हकदार हैं।
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