वकीलों के खिलाफ निपटाएं एक साल के भीतर शिकायतें, सुप्रीम कोर्ट ने BCI को दिया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने 'बार काउंसिल आफ इंडिया' (बीसीआइ) को निर्देश दिया है कि वह राज्य बार काउंसिल से अधिवक्ता अधिनियम की धारा 35 के तहत मिली शिकायतों का एक साल के भीतर निपटारा करने को कहे। शीर्ष अदालत ने बीसीआइ को हस्तांतरित शिकायतों का भी निपटारा उनकी प्राप्ति की तारीख से एक वर्ष के भीतर करने का निर्देश दिया। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि केवल असाधारण मामलों में वैध कारणों के साथ ही राज्यों से शिकायतों को बीसीआइ को भेजा जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि हम बार काउंसिल आफ इंडिया को हस्तांतरित की गई शिकायतों का अंतिम रूप से त्वरित निपटारा करने का निर्देश देते हैं। जिनका विवरण यहां दिया गया है, उनके निपटान में एक साल से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए। इसके लिए बार काउंसिल आफ इंडिया की अनुशासनात्मक समिति भी सर्किट सुनवाई कर सकती है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम के तहत, कानूनी पेशे की अखंडता की रक्षा करना बीसीआइ और राज्य बार काउंसिल का कर्तव्य है। शुक्रवार को दिए अपने फैसले में पीठ ने कहा कि बीसीआइ और संबंधित राज्य बार काउंसिल का कर्तव्य है कि वे कानूनी व्यवस्था की श्रेष्ठता हर कीमत पर सुनिश्चित करें।
पीठ ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम की धाराओं 35 और 36 बी के तहत बार के सदस्यों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की शक्तियां प्रदान की गई हैं। धारा 35 या धारा 36 के तहत प्राप्त शिकायत का उसकी प्राप्ति या बार काउंसिल आफ इंडिया में ऐसी कार्यवाही की तिथि से एक वर्ष की अवधि के भीतर निपटारा करने का आदेश है।
पीठ ने कहा कि अधिनियम में दिए गए समय के भीतर शिकायत का निपटारा न करना अधिवक्ता अधिनियम के तहत निर्धारित कर्तव्य को निभाने में उनकी विफलता के समान होगा। अदालत ने कहा कि बीसीआई के समक्ष 1,246 शिकायतें लंबित हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह उचित और आवश्यक है कि उक्त शिकायतों के निपटान के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार एक तंत्र खोजा जाए।पीठ ने कहा कि शिकायतों के कुशल और त्वरित निपटान के लिए बीसीआइ अनुभवी अधिवक्ताओं या सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों को जांच अधिकारियों के रूप में कार्य करने के लिए सूचीबद्ध करने पर विचार कर सकती है। उनकी जांच रिपोर्ट पर विचार करने के बाद बीसीआइ शिकायत पर उचित आदेश दे सकती है।
कोर्ट ने यह फैसला बीसीआइ की अनुशासन समिति द्वारा पारित उस आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर दिया, जिसमें समिति ने अपीलकर्ता द्वारा उसके वकील के खिलाफ दायर शिकायत को खारिज कर दिया था। अपीलकर्ता ने पेशेवर कदाचार के आधार पर अपने वकील के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।