सेंगोल शासन करने के सर्वोच्च नैतिक अधिकार का प्रतिनिधित्व करता है : नड्डा
नई दिल्ली (आईएएनएस)| भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संसद के नए भवन में पवित्र सेंगोल को स्थापित करने के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा है कि पवित्र सेंगोल राष्ट्रीय और ऐतिहासिक महत्व रखता है और यह शासन करने के सर्वोच्च नैतिक अधिकार का प्रतिनिधित्व करता है। संसद के नए भवन में पवित्र सेंगोल को स्थापित करने के फैसले पर प्रतिक्रिया जताते हुए नड्डा ने ट्वीट कर कहा कि पहली बार जवाहरलाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947 को राजेंद्र प्रसाद जैसे नेता की उपस्थिति में विशेष रूप से तमिलनाडु से आए इस पवित्र सेंगोल को पुजारियों से प्राप्त किया गया था। उन्होंने कहा कि मंत्रों के साथ सेंगोल वेस्टिंग समारोह की पवित्र तमिल परंपरा के बाद पंडित नेहरू ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' का संबोधन दिया। यह ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन से भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है।
भाजपा अध्यक्ष ने इतिहास के इस अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू को जीवंत करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक विदेशी शासक से भारत के लोगों को सत्ता का हस्तांतरण करने का प्रत्यक्ष नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक प्रक्रिया थी, जैसा कि प्राचीन भारत में हुआ करता था। उन्होंने कहा कि यह उत्तर से दक्षिण तक भारत के भावनात्मक और आध्यात्मिक एकीकरण पर भी जोर देता है।
भारत की आजादी की पूर्व संध्या पर हुई इस घटना को याद करने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव से अधिक उपयुक्त अवसर नहीं है और पवित्र सेंगोल को स्थापित करने के लिए नई संसद से कोई बेहतर जगह नहीं है।
--आईएएनएस