नॉएडा पुलिस ने फर्जी मार्कशीट व डिग्री बनाने वाले दो आरोपी को किया गिरफ्तार, जानिए पूरी खबर
दिल्ली एनसीआर क्राइम न्यूज़: दिल्ली से सटे नोएडा में थाना फेस 1 पुलिस ने फर्जी मार्कशीट व डिग्री बनाने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का दावा है कि आरोपियों ने 20 सालों में 10 हजार फर्जी मार्कशीट व डिग्री बनाकर लोगों को बेची है। आरोपी मार्कशीट व डिग्री बनाने के नाम पर लोगों से तीन से चार हजार रुपए वसूलते थे। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 120 फर्जी मार्कशीट, मार्कशीट बनाने के उपकरण और मार्कशीट के सफेद कागज बरामद किए हैं।
नोएडा जोन एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि थाना फेस 1 पुलिस ने शनिवार को सेक्टर 15 नया बांस गांव से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान अब्दुल समद निवासी 259 छोटी बजरिया चक्की वाली गली घंटाघर थाना कोतवाली गाजियाबाद और आदिल निवासी मेवाती मौहल्ला थाना व कस्बा दादरी गौतमबुद्धनगर के रूप में हुई है। अब्दुल समद 2021 में थाना फेस 2 से जेल जा चुका है। आरोपियों से पूछताछ करने पर पता चला है कि अब्दुल समद और आकिल मिलकर फर्जी मार्कशीट बनाने का कार्य करते थे। लेकिन दो महीने पहले आकिल की मृत्यु हो जाने के बाद उसका पुत्र आदिल, अब्दुल समद के साथ मिलकर फर्जी मार्कशीट बना रहा था। एडीसीपी ने बताया कि आरोपी पिछले करीब 20 साल यह कार्य कर रहे हैं। अब तक 10 हजार से अधिक लोगों को फर्जी मार्कशीट व डिग्री बनाकर तीन से चार हजार रुपए में बेच चुके हैं। इस तरह आरोपी करोड़ों रुपए की ठगी कर चुके हैं। आरोपियों के बैंक खाते सीज कर दिए गए हैं। एडीसीपी का दावा है कि इस गैंग से जुड़े कुछ और लोगों की तलाश की जा रही है।
निजी कंपनियों में नौकरी करने के लिए लोग बनवाते थे फर्जी मार्कशीट: एडीसीपी ने बताया कि पकड़े गए दोनों आरोपी 12वीं तक पढ़े हैं। आरोपियों ने ज्यादातार उन लोगों के लिए फर्जी मार्कशीट तैयारी की है जिन्हें निजी कंपनियों में नौकरी करनी थी। पूछताछ करने पर आरोपियों ने 10 हजार से अधिक लोगों की मार्कशीट व डिग्रीयां बनाने की बात कुअबूल की है। आरोपियों ने बताया कि उनकी बनाई मार्कशीट से हजारों लोग नोएडा-ग्रेटर नोएडा की अगल-अलग कंपनियों में नौकरी कर रहे हैं।
ऐसे तैयार करते थे फर्जी मार्कशीट व डिग्री: एडीसीपी ने बताया कि पेपर और डिग्री के अनुसार रेट तय करते थे। डिग्रिया बनाने के लिए कोरल ड्रा साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर बनाते थे। साफ्टवेयर के जरिए मार्कशीट डाउनलोड करके उसमें नाम, पता और नंबर में फेरदबल कर देते थे। साथ ही पासआउट की तारिख को बदलकर लोगों को दे देते थे। आरोपी हर महीने 10-15 लोगों को मार्कशीट व डिग्री बना कर देते थे।