New Delhi: SEBI ने रिलायंस हाउसिंग फाइनेंस समेत 6 अन्य को नोटिस जारी किया
यह नोटिस कंपनी को धन की हेराफेरी को लेकर दिया गया है।
नई दिल्ली: बाजार नियामक सेबी ने कल (बुधवार) रिलायंस होम फाइनेंस की प्रवर्तक इकाई समेत छह इकाइयों को नोटिस देकर 154.50 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा है। यह नोटिस कंपनी को धन की हेराफेरी को लेकर दिया गया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इन इकाइयों को 15 दिन के भीतर भुगतान करने को कहा है। ऐसा करने में विफल रहने पर संपत्ति और बैंक खाते कुर्क करने की चेतावनी दी है।
जिन इकाइयों को नोटिस भेजे गये हैं, उनमें क्रेस्ट लॉजिस्टिक्स एंड इंजीनियर्स प्राइवेट लि. (अब सीएलई प्राइवेट लि.), रिलायंस यूनिकॉर्न एंटरप्राइजेज प्राइवेट लि., रिलायंस एक्सचेंज नेक्स्ट लि., रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लि., रिलायंस बिजनेस ब्रॉडकास्ट न्यूज होल्डिंग्स लि. और रिलायंस क्लीनजेन लि. शामिल हैं। इन इकाइयों के जुर्माना देने में विफल रहने पर मांग नोटिस आया है।
नियामक ने छह अलग-अलग नोटिस में इन इकाइयों में प्रत्येक को 25.75 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है। इसमें ब्याज और वसूली लागत शामिल है। नियामक बकाया भुगतान नहीं करने की स्थिति में इन इकाइयों की चल और अचल संपत्तियों को कुर्क कर और उसे बेचकर राशि की वसूली करेगा।
इसके अलावा, उनके बैंक खातों को भी कुर्क किया जाएगा। सेबी ने इस साल अगस्त में कंपनी से धन के हेराफेरी को लेकर उद्योगपति अनिल अंबानी, रिलायंस होम फाइनेंस के पूर्व प्रमुख अधिकारियों सहित 24 अन्य इकाइयों को प्रतिभूति बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। नियामक ने अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
साथ ही उनपर पांच साल के लिए किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार नियामक के साथ पंजीकृत मध्यस्थों में निदेशक या प्रबंधन स्तर पर प्रमुख पद लेने पर रोक लगा दी। साथ ही, नियामक ने रिलायंस होम फाइनेंस लि. (आरएचएफएल) को छह महीने के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया और उस पर छह लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
सेबी ने 222 पृष्ठ के अंतिम आदेश में कहा कि अनिल अंबानी ने आरएचएफएल के प्रबंधन स्तर के प्रमुख कर्मचारियों की मदद से राशि की हेराफेरी की। इस रकम को इस रूप से दिखाया गया कि उनसे जुड़ी इकाइयों ने कंपनी से कर्ज लिया है। हालांकि, आरएचएफएल के निदेशक मंडल ने इस तरह की कर्ज गतिविधियों को रोकने के लिए कड़े निर्देश जारी किए थे और नियमित रूप से कंपनी की समीक्षा की थी। लेकिन कंपनी के प्रबंधन ने इन आदेशों को नजरअंदाज किया।