New Delhi: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में त्रिपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर सहमत भारत, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया
नई दिल्ली New Delhi। भारत-फ्रांस-ऑस्ट्रेलिया त्रिपक्षीय फोकल प्वाइंट India-France-Australia Trilateral Focal Point बैठक बुधवार को आयोजित की गई। तीनों देशों के बीच हुई इस तीसरी फोकल प्वाइंट बैठक में त्रिपक्षीय सहयोग के तीन मुख्य स्तंभों: समुद्री सुरक्षा एवं संरक्षा, समुद्री एवं पर्यावरण सहयोग और बहुपक्षीय जुड़ाव के तहत हासिल की गई प्रगति का आकलन करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पश्चिम-यूरोप) पीयूष श्रीवास्तव और संयुक्त सचिव (ओशिनिया और इंडो-पैसिफिक) परमिता त्रिपाठी ने किया। इसके अलावा फ्रांसीसी पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के निदेशक (एशिया और ओशिनिया) बेनोइट गाइडी ने किया और ऑस्ट्रेलियाई पक्ष का नेतृत्व विदेश मामलों एवं व्यापार विभाग के दक्षिण तथा मध्य एशिया प्रभाग की प्रथम सहायक सचिव सारा स्टोरी ने किया।
विदेश मंत्रालय foreign Ministry ने गुरुवार को एक आधिकारिक बयान में कहा तीनों पक्षों ने त्रिपक्षीय सहयोग के तीन स्तंभों - समुद्री सुरक्षा एवं संरक्षा, समुद्री एवं पर्यावरण सहयोग तथा बहुपक्षीय जुड़ाव के तहत की गई प्रगति की समीक्षा की। तीनों पक्षों के बीच हुई चर्चा में त्रिपक्षीय सहयोग को और बढ़ाने के उद्देश्य से नए प्रस्तावों पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने इंडो-पैसिफिक महासागर पहल (आईपीओआई) और इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (आईओआरए) तंत्र, मानवीय सहायता, आपदा राहत (एचएडीआर) सहयोग और बहुपक्षीय जुड़ाव के ढांचे के तहत त्रिपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए नए प्रस्तावों की पहचान की।
मंत्रालय के अनुसार भारत, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस ने अपने साझा मूल्यों को आगे बढ़ाने और एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक की दिशा में मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। माना जा रहा है कि इस तरह के जुड़ाव के माध्यम से तीनों राष्ट्र अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और क्षेत्रीय शांति और समृद्धि में योगदान देने का लक्ष्य रखते हैं। इंडो-पैसिफिक पर मजबूती के साथ मिलकर काम करने की सहमति क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने और आपसी विश्वास एवं सहयोग के माहौल को बढ़ावा देने की दिशा में तीनों देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। त्रिपक्षीय बैठक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त कार्रवाई के लिए उस मजबूत प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है, जो आम चुनौतियों का समाधान करने और आपसी हितों को आगे बढ़ाने में सहयोग के महत्व पर जोर देती है।