गुजरात की बंदरगाहों की तर्ज पर होगी नजफगढ़ ड्रेन की सफाई

द‍िल्‍ली के ड्रेनेज स‍िस्‍टम (Drainage System) को सुधारने की कवायद तेज कर दी गई है

Update: 2022-08-16 16:12 GMT

द‍िल्‍ली के ड्रेनेज स‍िस्‍टम (Drainage System) को सुधारने की कवायद तेज कर दी गई है. द‍िल्‍ली की नजफगढ़ ड्रेन की ड‍िस‍िल्‍टिंग अब गुजरात के बंदरगाहों (Gujarat Ports) की तर्ज पर की जाएगी. द‍िल्‍ली के उपराज्‍यपाल वीके सक्‍सेना के न‍िरीक्षण में यह कार्य पूरा क‍िया जाएगा. एलजी सक्‍सेना ने पंजाबी बाग के नजदीक स्‍थ‍ित नजफगढ़ ड्रेन (Najafgarh Drain) के एक क‍िलोमीटर क्षेत्र के ह‍िस्‍से के कार्यों का न‍िरीक्षण क‍िया.

बताते चलें क‍ि द‍िल्‍ली के उप-राज्यपाल वी.के. सक्सेना ने गत शनिवार को नजफगढ़ ड्रेन का दौरा क‍िया था और वैज्ञानिक प्रणाली पर आधारित 'पार्शियल ग्रेविटेशनल डी-सिल्टिंग' द्वारा किए जा रहे नाले की सफाई के कार्यों का निरीक्षण किया. हाल ही में इस प्रणाली द्वारा नाले की सफाई के लिए शुरू किया गया यह कार्य न केवल स्थायी है अपितु कम लागत का है. इस अवधारणा के जनक सक्सेना हैं, जिनको गुजरात के बंदरगाहों में ड्रेजिंग के कार्य का व्यापक अनुभव है.
इसी पद्धति द्वारा उन्होंने गुजरात के बंदरगाहों के ड्रेजिंग के कार्य को पारंपरिक पद्धति (मैन्युल रूप) से मुक्त किया. सक्सेना ने पंजाबी बाग के नजदीक स्थित नाले (नजफगढ़ ड्रेन) में मोटर बोट द्वारा प्रवेश किया जहां उन्होंने लगभग एक घंटे तक वहां पर 1 किलो मीटर क्षेत्र में चल रहे ड्रेजिंग के कार्यों का निरीक्षण किया. आज तक के इतिहास में नजफगढ़ ड्रेन में प्रवेश करने वाले वह दिल्ली के पहले उप-राज्यपाल हैं. पदभार संभालने के तुरंत बाद से ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नजफगढ़ ड्रेन की सफाई की जाए ताकि इनको ईको-टुरिज्म हब में विकसित किया जा सके.
द‍िल्‍ली के उप-राज्यपाल वी.के. सक्सेना ने नजफगढ़ ड्रेन का दौरा क‍िया. द‍िल्‍ली सरकार, एलजी वीके सक्‍सेना, ड्रेनेज स‍िस्‍टम, गुजरात की बंदरगाह, नजफगढ़ ड्रेन, ड‍िस‍िल्‍ट‍िंग, द‍िल्‍ली समाचार, Delhi Government, LG VK Saxena, Drainage System, Gujarat Port, Najafgarh Drain, Distilling, Delhi Newsद‍िल्‍ली के उप-राज्यपाल वी.के. सक्सेना ने नजफगढ़ ड्रेन का दौरा क‍िया.
इस निरीक्षण के दौरान उप-राज्यपाल के साथ बाढ़ एवं नियंत्रण विभाग के प्रधान सचिव और विभाग के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे. इस दौरान उप-राज्यपाल ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि परीक्षण के बाद वह इस प्रणाली का बड़े पैमाने पर उपयोग कर इस तकनीक का लाभ उठाएं.
'पार्शियल ग्रेविटेशनल डी-सिल्टिंग' पद्धति के द्वारा सिल्ट को तोड़ा और मथ दिया जाता है और ड्रेन में बह रहे पानी इस सिल्ट को अपने साथ बहा कर ले जाता है. जमा/एकत्रित हुए सिल्ट को मथने का कार्य नाव में लगे रेकर और स्पाइक यंत्र द्वारा किया जाता है. नाव में लगे संशोधित उपकरण नाले के अंदर तक के सिल्ट को मथ/ तोड़ देते हैं. पानी का बहाव तेज होने पर यह सिल्ट स्वतः नाले के पानी के साथ बह जाती है.
नजफगढ़ ड्रेन की लम्बाई 57 कि.मी. है, जिसमें 121 छोटे ड्रेन के सीवेज गिरते हैं. नाले में हर वर्ष 2 से 2.5 लाख घन मीटर गाद जमा होती है, और वर्तमान में लगभग 85 लाख घन मीटर गाद नाले में जमा है. इसके परिणामस्वरूप नाले में पिछले 40-50 वर्षों में दो बड़े टीले भी बन गए हैं जिनमें कुल 45 लाख क्यूबिक मीटर गाद है.
नजफगढ़ नाले की सफाई और गाद निकालने के कार्य की ज‍िम्‍मेदारी मुख्य रूप से सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के पास है. इस कार्य के लिए विभाग के पास सीमित संसाधन हैं जहां केवल 3 फ्लोटिंग उपकरण शामिल हैं, जिससे केवल 60-65 लाख क्यूबिक मीटर गाद निकाला जा सकता है. इस गति से चलते हुए नजफगढ़ ड्रेन के पूरे डी-सिल्टिंग में 50 वर्ष से अधिक का समय लग सकता है.
नजफगढ़ ड्रेन का बेड स्लोप कहीं 28.5 किलो मीटर में 1 मीटर है तो कहीं 2 किलो मीटर के क्षेत्र में 1 मीटर है. इसके अलावा ककरोला में बेड स्लोप में 6 मीटर तक की गिरावट आती है. इसी वजह से इन स्थानों पर जहां अधिक ढाल के कारण पानी का प्रवाह अपेक्षाकृत अधिक है, वहां पर सिल्ट को उपरोक्त प्रणाली द्वारा तोड़ने और मथने के कार्य की अवधारणा की गई है. बहाव के कारण उत्पन्न हुई ग्रेविटी से सिल्ट निकालने का कार्य किया जा रहा है.


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