New Delhiनई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने शुक्रवार को सिंगापुर में आसियान-भारत नेटवर्क ऑफ थिंक-टैंक के 8वें गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि नई दिल्ली और आसियान प्रमुख जनसांख्यिकी हैं। इनके बीच का सहयोग समकालीन मुद्दों से निपटने, खाद्य तथा स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और म्यांमार जैसे साझा क्षेत्र में राजनीतिक चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण हो सकता है। ऑस्ट्रेलिया की पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा के बाद शुक्रवार को सिंगापुर पहुंचे जयशंकर ने सम्मेलन में कहा भारत और आसियान प्रमुख जनसांख्यिकी हैं जिनकी उभरती मांगें न केवल एक-दूसरे का समर्थन कर सकती हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में बड़ी उत्पादक ताकतें बन सकती हैं। भारत-आसियान साझेदारी अब अपने चौथे दशक में है और इसमें अपार संभावनाएं हैं। द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय संबंधों ने हमें पास लाने में योगदान दिया है।
इस दौरान उन्होंने डिजिटल, ऊर्जा और राजमार्गों को लेकर सहयोगी कनेक्टिविटी के लिए भारत की प्रतिबद्धता को सामने रखा। विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत के वैश्विक क्षमता केंद्र, औद्योगिक पार्क और कौशल तथा शिक्षा के प्रयास गहरी आसियान साझेदारी के लिए नए रास्ते खोलते हैं।
विदेश मंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा सिंगापुर में प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री लॉरेंस वोंग से मिलकर बहुत खुशी हुई। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं दीं। प्रौद्योगिकी, कौशल और औद्योगिक साझेदारी को आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा हुई। क्षेत्रीय मंचों पर हमारी भागीदारी के बारे में भी बात की। इसके अलावा जयशंकर ने सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शानमुगरत्नम से मुलाकात की और वैश्विक राजनीतिक एवं आर्थिक परिदृश्य के साथ ही भारत और सिंगापुर पर इसके प्रभाव पर चर्चा की। जयशंकर ने अपने समकक्ष विवियन बालाकृष्णन के साथ बैठक में रणनीतिक साझेदारी में प्रगति की सराहना की और क्षेत्रीय एवं वैश्विक विकास पर दृष्टिकोण साझा किया। इसके अलावा विदेश मंत्री ने सिंगापुर के रक्षा मंत्री एनजी इंग हेन से मुलाकात कर हिंद-प्रशांत सुरक्षा स्थिति और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर विचार साझा किए।