हेट क्राइम और हेट स्पीच मंजूर नहीं : SC

Update: 2023-08-12 05:43 GMT

नई दिल्ली: हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर केंद्र सरकार को कड़ी ताकीद की है। शीर्ष कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया है कि वह एक कमेटी बनाए, जो देशभर में हेट स्पीच के मामलों की निगरानी करे। पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला ने इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें शाहीन अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को निर्देश देने गुजारिश की थी कि वह केंद्र को हेट स्पीच के मामलों में सख्ती बरतने का निर्देश दे। हेट स्पीच में समुदाय विशेष के लोगों की हत्या से लेकर उनके आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार की बातें हो रही हैं। हाल ही में हरियाणा में भडक़े सांप्रदायिक दंगों में छह लोगों की मौत हो गई। जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा कि समुदायों के बीच सद्भाव और सौहार्द होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी समुदाय जिम्मेदार हैं। अभद्र भाषा की समस्या अच्छी नहीं है और कोई भी इसे स्वीकार नहीं कर सकता।

अदालत ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि वह 18 अगस्त तक समिति के बारे में निर्देश प्राप्त करें और जवाब दें। बेंच ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि वह वीडियो सहित सभी सामग्री का मिलान करे और उन्हें नोडल अधिकारियों को दे। याचिका में अब्दुल्ला ने कहा कि हमें उम्मीद और भरोसा है कि राज्य सरकारें और पुलिस यह सुनिश्चित करेंगी कि किसी भी समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाला भाषण नहीं दिया जाए। साथ ही किसी भी तरह की शारीरिक हिंसा या संपत्ति यों को नुकसान नहीं पहुंचे। जस्टिस खन्ना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पुलिस प्रमुख से एक समिति गठित करने को कहेगा जो विभिन्न क्षेत्रों में पुलिस थानों को मिली नफरत फैलाने वाली भाषण की शिकायतों पर गौर करेगी। मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी।

याचिकाओं में पन्नों की संख्या तय करने की मांग

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को दायर एक याचिका में अदालत में दी जाने वाली अपीलों में पन्नों की संख्या तय करने की मांग की गई। कोर्ट ने याचिका की तारीफ करते हुए कहा कि याचिकाओं में पन्नों की संख्या पर जताई गई चिंता सराहनीय है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि हर मामले में दाखिल याचिकाओं में पन्नों की संख्या सीमित करना मुश्किल है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मामले पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने बेंच को बताया कि यह याचिका देश के हर नागरिक की न्याय तक पहुंच को सुनिश्चित करने का एक प्रयास है।

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