डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे दिल्ली के तीन बड़े अस्पताल, जानें कहां क्या स्थिति
राजधानी दिल्ली के कई बड़े अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजधानी दिल्ली के कई बड़े अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं। मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में सहायक प्रोफेसर के पदों के लिए नियुक्ति प्रक्रिया शुरू तो हुई, लेकिन कई महीने बाद भी यह पूरी नहीं हो सकी है। दिल्ली के तीन बड़े अस्पतालों एम्स, राम मनोहर लोहिया और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के कुल 442 पदों पर छह महीने पहले नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन अभी तक ये पद भरे नहीं जा सके हैं। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में सहायक प्रोफेसर के 41 पदों पर दो महीने पहले साक्षात्कार हो चुका है लेकिन नतीजा नहीं आया है। इसी तरह मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में 149 पदों के लिए साक्षात्कार हुए डेढ़ महीने से अधिक समय हो गया, लेकिन नतीजे नहीं आए।
एम्स में 252 डॉक्टरों का इंतजार
एम्स में पिछले साल नवंबर में 56 विभागों में फैकल्टी स्तर (सहायक प्रोफेसर) के 252 डॉक्टरों की स्थायी तौर पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई थी। लेकिन यह अभी लंबित है। इसके लिए साक्षात्कार तक नहीं लिए जा सके हैं।
डॉक्टर एसोसिएशन ने पत्र लिखा
डॉक्टरों की कमी को तुरंत पूरा करने के लिए अस्पताल की रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र भी लिखा है। आरडीए ने पत्र में यह भी कहा है कि पहली नियुक्ति प्रक्रिया में एक भी डॉक्टर ने आवेदन नहीं किया है। इसलिए सहायक प्रोफेसर के ये पद खाली रह जाएंगे। इसके अलावा 21 विभागों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए निर्धारित पदों की तुलना में तीन गुना से कम डॉक्टरों ने आवेदन किए हैं। आरडीए ने कहा कि डॉक्टरों की कमी से मरीजों का इलाज भी प्रभावित हो रहा है।
कहां, क्या स्थिति
- एम्स में 252 पदों के लिए नवंबर 2021 से शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया पर साक्षात्कार नहीं
- आरएमएल में 41 पदों के लिए साक्षात्कार के दो महीने बाद भी नतीजे नहीं आए
- मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में 149 पदों पर साक्षात्कार के डेढ़ महीने बाद भी नतीजे नहीं आए