दिल्ली : सोमवार से खुल रहे नर्सरी से आठवीं तक के स्कूल, शिक्षा निदेशालय ने दी एक हिदायत
राजधानी में सोमवार से नर्सरी से आठवीं तक की कक्षाओं के बच्चों के लिए स्कूल खुल रहे हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजधानी में सोमवार से नर्सरी से आठवीं तक की कक्षाओं के बच्चों के लिए स्कूल खुल रहे हैं। इसके लिए स्कूलों ने छात्रों के स्वागत के लिए तैयारी कर ली है। हालांकि, अभी भी कुछ अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर आशंकित हैं।
कोरोना महामारी के कारण लंबे समय तक बंद रहने के बाद बीते सोमवार से नौवीं से बारहवीं तक के स्कूल खुल गए हैं। जबकि 14 फरवरी से नर्सरी से आठवीं तक की कक्षाओं के लिए स्कूल दो साल बाद खुल रहे हैं। इसके लिए स्कूलों ने मैसेज और ईमेल के माध्यम से सहमति पत्र भेजे हैं। स्कूलों की ओर से अभिभावकों को कहा गया है कि वह यह सुनिश्चित करें कि बच्चा अपना सामान इस्तेमाल करे।
स्कूल में खेल या अन्य किसी सभा का आयोजन नहीं किया जाएगा। मयूर विहार स्थित विद्या बाल भवन स्कूल के प्रिंसिपल डॉ. सतबीर ने बताया कि अभिभावकों को सहमति पत्र दिए गए हैं और केवल 30 फीसदी ने ही बच्चों को स्कूल भेजने की सहमति दी है।सोमवार से हमने चौथी से आठवीं तक की कक्षाओं के लिए स्कूल खोलने का फैसला किया है।
नर्सरी से तीसरी तक की कक्षाओं के बच्चों को अभी भी अभिभावक स्कूल भेजने से डर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने प्रार्थना सभा अलग-अलग कक्षाओं के आधार पर कराने का फैसला किया है। जिससे कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन हो। एर्फोडेबल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन केअध्यक्ष लक्ष्य छाबडिय़ा ने कहा कि स्कूल खोलने के लिए तैयार हैं इस दौरान बच्चों की सुरक्षा और कोविड प्रोटोकॉल का ध्यान रखा जाएगा।
प्रार्थना सभा अलग-अलग कराई जाएगी। लंच का समय भी अल्ग-अलग होगा। इस बात का भी ध्यान रखेंगे कि बच्चे एक जगह पर एकत्र ना हो। एक अन्य प्रिंसिपल ने कहा कि इस बात का प्रयास करेंगे कि कक्षाओं के बाहर उन्हें सिखाया जाए। कई बच्चे ऐसे होंगे जो कि पहली बार स्कूल आएंगे इनके लिए अलग तरह की गतिविधियां होगी जिससे कि वह अपने को स्कूल के माहौल में ढाल सकें।
एक सप्ताह पुस्तकें लाने का दबाव न बनाएं स्कूल
शिक्षा निदेशालय ने निर्देश दिए हैं कि स्कूल खुलने के बाद बच्चों पर एक सप्ताह तक किताबें लाने का दबाव न बनाया जाए। उनके मनोरंजन के लिए विभिन्न गतिविधियों को शामिल करने के लिए भी कहा है।
निदेशालय ने कहा है कि स्कूल खुलने पर शिक्षकों को बच्चों व उनके साथ पहुंचे अभिभावकों का गर्मजोशी के साथ स्वागत करना होगा। कक्षा में पहुंचने पर शिक्षक बच्चों से उनके लॉकडाउन के समय का अनुभव साझा करने के लिए कहेंगे। यदि कोई बच्चा अपना अनुभव साझा करने में असहज महसूस करेगा तो शिक्षक उस पर दबाव नहीं बनाएंगे। वहीं, बच्चों के जोड़े के साथ समूह का गठन किया जाएगा, जिससे बच्चे खुलकर अपनी बात रख सकें।
छात्रों को कविता या चित्र के माध्यम से भी उनके लॉकडाउन का अनुभव साझा करने के लिए कहा जा सकता है। निदेशालय ने शिक्षकों को कक्षा छह से आठ तक के छात्र-छात्राओं के साथ उनकी आशाओं, अपेक्षाओं और आकांक्षाओं के बारे में बात करने का निर्देश दिया है। वहीं, छात्रों को करीब दो सप्ताह तक आमने-सामने अनौपचारिक चर्चा करने का निर्देश है।
20 गतिविधियां आयोजित करेंगे स्कूल : शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों द्वारा बच्चों को सहज महसूस कराने और संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए 20 तरह की गतिविधियां शामिल करने का निर्देश दिया है। इसके तहत दयालुता, कृतज्ञता, भावनात्मक पहलू, सुनो और कूदो, काल्पनिक गेंद, नमस्कार, काला या सफेद, अच्छे अनुभव, शब्दों का एकीकरण, यू आर यूनिक, फेस गेम व नाम में क्या रखा है, जैसी गतिविधियों को शामिल करना होगा। इसके तहत छात्रों को उनके अच्छे अनुभव से लेकर परेशानियों को साझा करने के लिए कहा जाएगा।