New Delhi नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश, पंजाब, केरल और उत्तराखंड में फैली 15 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए बुधवार को मतदान के पहले चार घंटों में औसतन 20 प्रतिशत मतदान हुआ। इस बीच उत्तर प्रदेश के मीरापुर के एक गांव में पथराव की घटना और पुलिसकर्मियों पर मतदाताओं को वोट डालने से रोकने के आरोप लगे हैं। उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान की शुरुआत धीमी रही थी, लेकिन अब इसमें तेजी आई है। सुबह 11 बजे तक 20 प्रतिशत से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुके थे। मीरापुर विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान के दौरान काकरोली गांव में दो समूहों के बीच टकराव के बाद पथराव की घटना की खबर है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और “हल्का बल” प्रयोग कर भीड़ को तितर-बितर किया।
सिंह ने कहा, “स्थिति को नियंत्रण में कर लिया गया है और मतदान शांतिपूर्ण ढंग से जारी है।” टकराव का कारण क्या था, यह तुरंत स्पष्ट नहीं हो सका है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के उम्मीदवार मोहम्मद अरशद ने संवाददाताओं से कहा कि ककरोली क्षेत्र में मतदान प्रतिशत कम रहा। उन्होंने आरोप लगाया, "पुलिस मतदाताओं को परेशान कर रही है, उन्हें घर से बाहर निकलने नहीं दे रही है। वे लोगों के दुश्मनों की तरह व्यवहार कर रहे हैं।" उन्होंने दावा किया, "यह लोगों का चुनाव नहीं है, यह सरकार का चुनाव है।" उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया जा रहा है। सपा उम्मीदवार सुम्बुल राणा ने भी आरोप लगाया कि पुलिस पहचान पत्र की जांच के नाम पर मतदाताओं को परेशान कर रही है।
राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) की उम्मीदवार मिथलेश पाल ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें निर्वाचन क्षेत्र के बाहर से लोगों को "फर्जी मतदान" के लिए बुलाए जाने के बारे में जानकारी मिली है। उन्होंने आरोप लगाया, "इन लोगों को मदरसों और स्कूलों में ठहराया गया है।" पाल ने यह भी दावा किया कि "बुर्का पहनी महिलाओं" द्वारा फर्जी मतदान किया जा रहा है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की इस टिप्पणी पर कि पुलिसकर्मियों को मतदाताओं के पहचान पत्र की जांच नहीं करनी चाहिए, पाल ने कहा कि फर्जी मतदान को रोकने के लिए उन्हें निश्चित रूप से इसकी जांच करनी चाहिए। "यह सब पुलिस के 'लचीले रवैये' के कारण हो रहा है। हमने शिकायत की है, लेकिन पुलिस फिलहाल कुछ नहीं कर पा रही है।'' सपा और भाजपा दोनों ने चुनाव आयोग से हस्तक्षेप की मांग की है। सपा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग से वीडियो साक्ष्य के आधार पर कथित मतदाता दमन का तत्काल संज्ञान लेने का आग्रह किया।