फरीदाबाद के सरकारी मॉडल स्कूलों में फीस को लेकर बढ़ा विवाद, लगाया जा रहा सरकारी स्कूलों के निजीकरण का आरोप

फरीदाबाद के राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूलों में फीस को लेकर स्कूल मुखियाओं की परेशानी बढ़ गई है।

Update: 2022-04-30 03:56 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। फरीदाबाद के राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूलों में फीस को लेकर स्कूल मुखियाओं की परेशानी बढ़ गई है। प्राथमिक स्कूलों में अभिभावक फीस को लेकर आए दिन उलझ रहे हैं। वहीं सरकारी स्कूलों में फीस देने के फैसले पर अभिभावक नाराजगी जता रहे हैं। इसके चलते स्कूलों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं अभिभावकों की परेशानी देखते हुए शिक्षक संघ ने भी सरकार से फीस नहीं लेने की मांग उठाई है।

गौरतलब है कि प्रदेशभर में सरकारी स्कूलों में बेहतरीन सुविधा देने के मकसद से सरकार ने मॉडल संस्कृति स्कूल चालू किए हैं। शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने को प्रदेश में 136 राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक और 1418 राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालय बनाए हैं। इनमें जिले के पांच वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल शामिल हैं। वहीं बैग फ्री स्कूलों को बढ़ावा देने की योजना के तहत प्रदेश में 981 मॉडल संस्कृति प्राथमिक स्कूल खोले गए हैं , जिनमें जिले में 85 शामिल हैं।
अभी तक नहीं किया जाता था फीस का भुगतान
इन सभी स्कूलों में अभी तक छात्रों को किसी तरह की फीस का भुगतान नहीं करना होता था। वहीं मॉडल स्कूल में तब्दील होने के बाद उन्हें फीस देनी पड़ रही है। इसके तहत पहली से पांचवीं कक्षा में बतौर दाखिला फीस 5 सौ रुपये लिए जा रहे हैं।
इसके साथ ही मासिक फीस के तौर पर छात्रों को पहली से तीसरी कक्षा के लिए 200 रुपये और चौथी व पांचवीं कक्षा के लिए 250 रुपये का भुगतान करना होगा। इसे लेकर अभिभावकों के साथ ही शिक्षा क्षेत्र से जुड़े अन्य लोग भी विरोध जता रहे हैं। सामाजिक क्षेत्र के लोगों ने भी इस संबंध में विरोध दर्ज कराते हुए सरकार से इस शुल्क को माफ करने की मांग की है। शिक्षक संघ ने भी सरकार की फीस लेने की इस नीति पर नाराजगी जताते हुए विरोध दर्ज कराया है।
अभिभावकों की सरकार से मांग है कि बेहतर शिक्षा निशुल्क मिलनी चाहिए। निजी स्कूलों को बढ़ावा देने का आरोपदरअसल, सरकार ने इस सत्र से निजी स्कूलों में जरूरतमंद छात्रों को स्कूलों की सहमति से दाखिले देने की योजना बनाई है। इसके तहत स्कूलों को बकायदा सरकार की ओर से फीस की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
ऐसे में शिक्षक संघ का आरोप है कि सरकार निजी स्कूलों को आर्थिक मदद दे रही है , वहीं सरकारी स्कूलों में छात्रों पर बोझ बढ़ाया जा रहा है। जबकि शिक्षा का अधिकार नियम के तहत आठवीं तक छात्रों को निशुल्क शिक्षा मिलनी चाहिए। ऐसे में अभी फीस को लेकर विवाद जारी रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।
जरूरतमंद छात्रों के लिए 20 आरक्षण
प्रदेशभर में मॉडल संस्कति इन स्कूलों में 1.80 लाख वार्षिक आय वाले परिवार के बच्चों को 20 फीसदी आरक्षण मिलेगा। 1.80 से 2.40 लाख आय वाले परिवारों के बच्चों के लिए 10 फीसदी सीटें आरक्षित की गई हैं। इसके साथ ही शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत एससी-बीसी-ए, बी व दिव्यांग बच्चों के लिए 25 फीसदी सीटें आरक्षित की गई हैं।
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