भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने 176 करोड़ रुपए का घोटाला पकड़ा

Update: 2022-09-22 14:57 GMT

एनसीआर नॉएडा न्यूज़: जहांगीरपुर में यमुना प्राधिकरण ने 765 केवीए का बिजली सबस्टेशन बनाने के लिए जरूरत से ज्यादा जमीन खरीद ली, इस जमीन खरीद फर्जीवाड़े का सीएजी (भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) ने बड़ा घोटाला पकड़ा है। सीएजी ने इस घोटाले को यूपी विधानसभा में पटल पर रखा है. यह घोटाला सपा सरकार के दौरान यमुना अथॉरिटी में किया गया। 176.73 करोड़ रुपए के इस घोटाले में कई अधिकारियों और नेताओं की मिली भगत सामने आ सकती हैं। इस घोटाले को जांच के लिए विधानसभा की समिति के सामने करवाई करने के लिए सरकार की ओर से भेजा जाएगा।

इस तरह लगाया प्राधिकरण को हजारों करोड़ों रुपए का चूना: जहांगीरपुर की तरह ही बेलाना गांव में भी इस तरह का घोटाला सामने आया है। बेलाना गांव में मास्टरप्लान से बाहर जाकर अधिकारी और नेताओं ने जमीनें खरीदी, इसके बाद यमुना प्राधिकरण को बेच दी गई। जिसमें प्राधिकरण को हजारों करोड़ों रुपए का चूना लगाया गया। जहांगीरपुर में सबस्टेशन निर्माण के नाम पर जमीन खरीद में बड़ा खेला खेला गया। प्राधिकरण के जमीन खरीदने से पहले इस जमीन को किसानों से औने-पौने दामों में प्राधिकरण के अफसरों और ठेकेदारों ने अपने रिश्तेदारों के नाम करीब एक महीने पहले ही खरीद लिया। इसके बाद प्राधिकरण से मोटा मुहावजा लेकर सीधे बैनामा से प्राधिकरण को जमीन बेच दी गई।

इस तरह किया जमीन का हेर-फेर: सीएजी की जांच में खुलासा हुआ है कि जहांगीरपुर में बने 765 केवीए के बिजली सबस्टेशन के लिए 3,46,423 वर्ग मीटर जमीन की जरूरत थी जब की प्राधिकरण ने 5,43,650 वर्ग मीटर जमीन खरीद डाली। इस तरह यह जमीन (WUPPCL) को दे दी गई। इसमें 13 हेक्टेयर जमीन पर सबस्टेशन का निर्माण होना था। जब की 14 हेक्टेयर जमीन जरूरत से ज्यादा जो पूरी तरह सबस्टेशन से बाहर है, जिसे खरीद ली गई और 1.4 हेक्टेयर जमीन का मुहावजा बांट दिया गया जब की रजिस्ट्री आज तक नहीं कराई गई। जमीन का रेट 4125.60 रुपए था जबकि 2,560 रुपए की दर से जमीन अलॉट की गई।

कई अफसर और नेताओं की गर्दन फसेंगी: इस तरह समाजवादी पार्टी की सरकार में यमुना प्राधिकरण में 176.73 करोड़ रुपए का घोटाला जहांगीरपुर में किया गया। इसी तर्ज पर प्राधिकरण के मास्टरप्लान से बाहर बेलाना गांव में भी बड़ा खेल खेला गया। कई सौ करोड़ रुपए की जमीन पहले नेता व अफसरों ने भोले-भाले किसानों से बेहद कम कीमत पर खरीदी और बाद में जमीन को प्राधिकरण के अफसरों से सांठ गांठकर प्राधिकरण को बैनामा के जरिए बेच डाली। इस तरह बेलाना गांव में भी प्राधिकरण को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया। जमीन खरीद मामले में अब कई अफसर और नेताओं की गर्दन फंस सकती है।

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