कोरोना से मौत के फर्जी सर्टिफिकेट पर मुआवजा, सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
कोविड (Covid-19) डेथ का मुआवजा पाने के लिए फर्जी सर्टिफिकेट (Fake Certificate) बनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है.
कोविड (Covid-19) डेथ का मुआवजा पाने के लिए फर्जी सर्टिफिकेट (Fake Certificate) बनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में बुधवार को अपना फैसला सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया है कि कोरोना से मौत से मुआवजे का आवेदन 6 हफ्ते के भीतर किया जाए. देश की सर्वोच्च अदालत ने गुजरात, महाराष्ट्र, केरल और आंध्रप्रदेश में कोरोना से मौत के मुआवजे के 5% आवेदन की जांच करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कोरोना से मौत के मुआवजे के फर्जी डेथ सर्टिफिकेट लगाने के मामले में एक जनहित याचिका दाखिल की है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि कोरोना से मुआवजे के आवेदन की सीमा 4 हफ्ते तय किया जाए. साथ ही फर्जी डेथ सर्टिफिकेट के मामले में केंद्र सरकार राज्यों की मदद से फर्जी सर्टिफिकेट का सैंपल सर्वे करे, ताकि मामले में किसी हल तक पहुंचा जा सके. इस पर जस्टिस शाह ने कहा कि 4 हफ्ते का समय उचित नहीं है, कम से कम आवेदन के लिए 6 हफ्ते का समय दिया जाना चाहिए. जस्टिस शाह ने आगे कहा कि फर्जी सर्टिफिकेट के मामले में दो से तीन राज्यों में सेंपल सर्वे किया जाए.
महाराष्ट्र में मौत के आंकड़ों से ज्यादा मुआवजे का दावा करने वाले लोग
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कोरोना की वजह से जान गंवाने वाले परिवार को 50,000 मुआवजे के तौर पर देने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि जान गंवाने वाले परिवार को आवेदन करने के 30 दिनों के भीतर पैसा वितरित किया जाना चाहिए. महाराष्ट्र में मुआवजे के दावों की संख्या हैरान करती है, क्योंकि यहां 241,000 से अधिक लोगों ने मुआवजे का दावा किया, जबकि राज्य में कोरोना वायरस के कारण आधिकारिक मौत का आंकड़ा 143,706 है.
सरकार ने पहले दिया था फंड की कमी का हवाला
दरअसल, दो जनहित याचिकाएं वकील गौरव कुमार बंसल और रीपक कंसल ने पिछले साल दाखिल कर कोविड संक्रमण की वजह से मरने वाले लोगों के परिजनों को चार लाख रुपए मुआवजा देने की गुहार लगाई थी. पहले तो सरकार ने फंड की कमी और अन्य कई तकनीकी मजबूरियां बताते हुए आनाकानी की थी. लेकिन कोर्ट के सख्त रवैए से सरकार ने पचास हजार रुपए सहायता राशि देने को कहा. इस पर भी कई राज्यों में कोविड से हुई मौत के आधिकारिक आंकड़ों से काफी ज्यादा दावे तो कहीं बहुत कम दावों पर भी सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों की खबर ली थी.