मुख्यमंत्री उड़नदस्ते ने छापेमारी कर रुपए लेकर फर्जी कोरोना पॉजिटिव-निगेटिव दिखाने वाली लैब का भंडाफोड़ किया

मुख्यमंत्री उड़नदस्ते और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम ने मंगलवार को डीएलएफ फेज-3 इलाके में छापेमारी कर कोविड की फर्जी रिपोर्ट बनाने वाली निजी लैब का भंडाफोड़ किया।

Update: 2022-02-09 03:14 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मुख्यमंत्री उड़नदस्ते और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम ने मंगलवार को डीएलएफ फेज-3 इलाके में छापेमारी कर कोविड की फर्जी रिपोर्ट बनाने वाली निजी लैब का भंडाफोड़ किया। लैब पर लोगों से मोटे पैसे लेकर जरूरत अनुसार कोविड की पॉजिटिव और निगेटिव रिपोर्ट बनाकर देने का आरोप है।

जांच टीम ने मौके से लैब के एक कर्मचारी को फर्जी रिपोर्ट, लैपटॉप, प्रिंटर, मोहर, फोन व दस्तावेजों और साढ़े 12 हजार रुपये नकदी सहित काबू किया। टीम की शिकायत पर मामला दर्ज करने के बाद डीएलएफ फेज-3 थाना पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। लैब संचालक छापेमारी के बाद फरार हो गया।
मुख्यमंत्री उड़नदस्ते की टीम को सूचना मिली थी कि डीएलएफ फेज-3 में नाथूपुर रोड पर मकान नंबर एनआर-24 में एसआरएल डायग्नोजिस्ट लैब चल रही है। लैब में फर्जी तरीके से पैसे लेकर कोविड टेस्ट की पॉजिटिव रिपोर्ट दी जाती है। इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी गई। स्वास्थ्य विभाग और मुख्यमंत्री उड़नदस्ते की संयुक्त टीम ने लैब पर मंगलवार दोपहर छापेमारी की।
टीम के छापा मारते ही लैब में हड़कंप मच गया। टीम ने लैब में मौजूद कर्मचारियों से पूछताछ की और दस्तावेज खंगालने शुरू किए। नमूनों का भी जायजा लिया और रिकॉर्ड खंगाला। करीब दो घंटे तक जांच पड़ताल के बाद टीम को लैब में कई फर्जी रिपोर्ट मिलने की बात सामने आई है। टीम ने मौके से नमूने लेने वाले लैब तकनीशियन के सहायक बतौर फ्लेबोटोमिस्ट कार्यरत दिल्ली के महिपालपुर निवासी 22 वर्षीय संजीव को गिरफ्तार कर लिया। वहीं लैब संचालक अनुज शर्मा मौके पर नहीं मिला। टीम में शामिल अधिकारियों ने बताया कि नाथूपुर में एसआरएल डायग्नोस्टिक लैब करीब पांच महीने से अनुज शर्मा के द्वारा फ्रेंचाइजी लेकर चलाई जा रही थी। ये लैब गुड हेल्थ डायग्नोस्टिक के नाम से पंजीकृत है।
छात्रों से लेकर नौकरीपेशा जरूरत पर करते थे संपर्क
लैब से अधिकतर तौर पर छात्र और नौकरीपेशा लोग फर्जी रिपोर्ट बनवाने के लिए आते थे। स्कूल व कॉलेजों में परीक्षाएं घर से देने और कार्यालयों में घर से काम की अनुमति लेने के लिए लोग फर्जी रिपोर्ट बनवाते थे। विदेश जाने और कार्यालय में दिखाने के लिए निगेटिव रिपोर्ट भी तैयार की जाती थी।
असली रिपोर्ट में छेड़छाड़ कर बदलाव किया जाता था
अधिकारियों ने बताया कि आरोपी किसी भी एक व्यक्ति की असली रिपोर्ट को स्कैन करने के बाद उसे एडिट कर फर्जी रिपोर्ट तैयार करते थे। जिन भी लोगों की फर्जी रिपोर्ट तैयार की जाती थी, उनका रिकॉर्ड आईसीएमआर पोर्टल पर अपलोड नहीं किया जाता था।
दो से पांच हजार रुपये में बनाते थे गलत जांच रिपोर्ट
गिरफ्तार आरोपी ने प्रारंभिक पूछताछ में बताया कि लैब में दो हजार से रुपये से लेकर पांच हजार रुपये तक लेकर फर्जी रिपोर्ट तैयार की जाती थी। ये खेल कई महीनों से चल रहा था। टीम को उम्मीद है कि बड़ी संख्या में यहां से लोगों को कोविड जांच की फर्जी रिपोर्ट बनाकर दी गई है।
एसआरएल लैब ने दी सफाई
एसआरएल लैब के प्रवक्ता ने कहा कि एक फ्रेंचाइजी के खिलाफ शिकायत से मामले का पता चला है। हमारी ओर से मामले की आंतरिक जांच की जा रही है। किसी भी अनैतिक व्यवहार के खिलाफ हमारी जीरो टॉलरेंस की नीति है और हम उचित कार्रवाई करेंगे।
सूचना पर स्वास्थ्य विभाग और ड्रग कंट्रोल के साथ सीएम फ्लाइंग की संयुक्त टीम बनाकर छापेमारी की गई। मौके पर एक आरोपी को गिरफ्तार कर डीएलएफ फेज-3 थाना में विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करवाया गया है।
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