भारत के पहले मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए इंटरनेशनल कंपनियों को लाने के लिए आवेदन की तिथि बढ़ाई गई
एनसीआर नॉएडा न्यूज़: यमुना प्राधिकरण के सेक्टर-28 में विकसित होने वाले उत्तर भारत के पहले मेडिकल डिवाइस पार्क (एमडीपी) में आने वाली कंपनियों को एक छत के नीचे सारी सुविधाएं मिलेंगी। इस योजना में आवेदन करने की तिथि 7 जुलाई कर दी गई है। पहले 22 जून तक आवेदन करने की अंतिम तिथि थी। इसके लिए पार्क में 13 कॉमन फैसिलिटी सेंटर बनाए जाएंगे। यहां आने वाली कंपनियां इनका उपयोग कर सकेंगी। इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। इन सेंटरों को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने 100 करोड़ रुपये दिए हैं। यह पैसा इन्हीं सेंटरों के निर्माण पर खर्च किया जाएगा।
7 जुलाई तक होगा आवेदन: उत्तर भारत का पहला मेडिकल डिवाइस पार्क यमुना प्राधिकरण के सेक्टर-28 में बनेगा। यह पार्क 350 एकड़ में विकसित होगा। पहले चरण में 110 एकड़ में योजना लांच की गई है। इसमें 126 भूखंड हैं। इसमें 1000 वर्ग मीटर से लेकर 4000 वर्ग मीटर तक के भूखंड हैं। योजना की अंतिम तिथि 22 जून था। अब 7 जुलाई तक आवेदन किय जाएगा। इस योजना में मेडिकल उपकरण बनाने वाली कंपनियों को भूखंड आवंटित किए जाएंगे। मेडिकल डिवाइस पार्क में आने वाली कंपनियों को सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। इसके लिए 13 फैसिलिटी सेंटर बनाए जाएंगे। ये फैसिलिटी सेंटर 92648 वर्ग फीट में बनाए जाएंगे। इन पर करीब 106 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें से करीब 80 करोड़ रुपये सेंटर में लगने वाले उपकरणों पर खर्च किए जाएंगे। यहां आने वाली कंपनियों को हर सुविधा मिलेगी। उन्हें किसी काम के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
फूड पार्क भी बनेगा: मेडिकल डिवाइस पार्क में फूड पार्क भी बनाया जाएगा ताकि यहां आने वाले कर्मचारियों व कंपनी प्रबंधन को खाने पीने की दिक्कत ना हो। इसके अलावा कन्वेंशन सेंटर भी बनेगा। इससे कंपनियां यहां पर अपने आयोजन कर सकेंगी। इन सबकी भी योजना तैयार कर ली गई है।
निगरानी के लिए एर्नस्ट एंड यंग एजेंसी का चयन: यमुना प्राधिकरण ने मेडिकल डिवाइस पार्क की निगरानी के लिए एर्नस्ट एंड यंग (ईएंडवाई) एजेंसी का चयन किया है। यह कंपनी पूरे प्रोजेक्ट की निगरानी करेगी। एजेंसी के तीन प्रमुख काम होंगे। पहला काम यह होगा कि वह योजना का देश विदेश में प्रचार करेगी। उन देशों में रोड शो किए जाएंगे जहां पर सबसे अधिक मेडिकल उपकरण बनाए जाते हैं। यह जिम्मेदारी इस कंपनी की होगी। अगर कोई विदेशी कंपनी यहां किसी के साथ कंसोर्सियम बनाकर काम करना चाहती है, तो उसमें भी यह एजेंसी मदद करेगी। यहां आने वाली कंपनियों को अगर किसी तरह की मदद की जरूरत होगी तो यही एजेंसी मदद करेगी।