250 करोड़ का एक और फर्जीवाड़ा उजागर, पुलिस मास्टरमाइंड तक नहीं पहुंच पाई
जानें पूरा मामला।
गाजियाबाद: लक्ष्य तंवर गैंग द्वारा 400 करोड़ के लोन घोटाले के बाद गाजियाबाद जिले में ढाई सौ करोड़ का एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस फर्जीवाड़े को कथित तौर पर एक अकेले व्यक्ति ने सौ से अधिक कंपनियां खोलकर अंजाम दिया। हैरत की बात यह है कि सभी कंपनियां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खोली गईं। पुलिस हाथ-पांव पीटती रही, लेकिन मास्टरमाइंड का सुराग तक नहीं लगा सकी। आखिरकार सवा तीन साल बाद पुलिस के हाथ लगे बैंक के एक डीडी से मास्टरमाइंड बेनकाब हो गया। पुलिस की मानें तो आरोपी को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।
अक्टूबर 2018 में वाणिज्य कर विभाग के तत्कालीन असिस्टेंट कमिश्नर सुशांत मिश्रा ने तीन कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इनमें सर्वश्री ट्रेडिंग कंपनी, सर्वश्री टीएम इंटरप्राइजेज और सर्वश्री आरटी स्टील एंड आयरन कंपनी शामिल थीं। एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि फर्जीवाड़ा करते हुए इन कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कराया गया है। साथ ही वाणिज्य कर विभाग व बैंकों को राजस्व की हानि पहुंचाई गई है। केस दर्ज कर कविनगर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी थी, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, फर्जीवाड़े की परतें खुलती चली गईं। सिर्फ तीन कंपनियां ही नहीं, बल्कि सौ से अधिक ऐसी कंपनियां प्रकाश में आईं, जो फर्जी दस्तावेजों पर चल रही थीं।
पुलिस का कहना है कि जिन लोगों के दस्तावेज लगे थे, बाद में उनसे पूछताछ की गई तो नई बात सामने आई। उन्होंने किसी कंपनी के लिए दस्तावेज न देने की बात कही।
पुलिस ने दोबारा से कंपनियों की कुंडली खंगाली। करीब एक साल तक पुलिस ने एक-एक कंपनी को ट्रेस किया और वाणिज्य कर विभाग से उसकी जानकारी हासिल की। जांच में सौ से अधिक कंपनियां फर्जी दस्तावेजों पर मिलीं। पुलिस के मुताबिक, कंपनी धारक का नाम, कंपनी का पता और खाता सब फर्जी निकले। इससे फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड के बारे में जानकारी करना और मुश्किल हो गया।
पुलिस ने वाणिज्य कर विभाग से दस्तावेज निकलवाए। जिन लोगों के दस्तावेज इस्तेमाल किए गए, उन लोगों को पुलिस ने जेल भी भेज दिया, लेकिन सरगना का पता नहीं लग सका। इसकी बड़ी वजह यह थी कि सरगना ने अपने खिलाफ कोई दस्तावेज या सबूत नहीं छोड़ा, लेकिन पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई तो फर्जीवाड़े की परतें खुलती चली गईं। इसमें पता चला कि फर्जी कंपनियां बनाकर करोड़ों का घपला करने वाला शख्स कोई और है।
पुलिस का कहना है कि सवा तीन साल बाद एक बैंक ड्राफ्ट से मास्टरमाइंड का सुराग मिला। मास्टरमाइंड ने दिल्ली के एक व्यक्ति की इमारत किराये पर ली थी। यह पता मास्टरमाइंड की एक कंपनी का भी था। इस इमारत के बिल का भुगतान उसने उस बैंक से कराया, जिसमें उसका खाता था। इस डीडी के माध्यम से पुलिस को मास्टरमाइंड का सुराग लगा। पुलिस ने उसके द्वारा किए गए फर्जीवाड़े का अनुमान लगाया तो वह करीब ढाई सौ करोड़ का निकला।
''फर्जी दस्तावेजों से कंपनियां बनाकर करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। इसमें लोगों के दस्तावेजों का दुरुपयोग किया गया। मास्टरमाइंड के खिलाफ मजबूत साक्ष्य इकट्ठा किए जा रहे हैं। जल्द ही उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा।'' -निपुण अग्रवाल, एसपी सिटी