Covid-19: सार्स-सीओवी-2 की वजह से बने कुछ एंटीबॉडी, जो बना देते हैं कोरोना के मरीजों में खून के थक्के

ये एंटीबॉडी ऐसे मरीजों में पाए जाते हैं, जिनमे एंटीफॉसफॉलिपिड सिंड्रोम नामक ऑटोइम्यून बीमारी होती है

Update: 2020-11-08 12:37 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोविड के गंभीर मरीजों में अकसर खून के थक्के जमा हो जाते हैं, जिससे जानलेवा स्ट्रोक्स हो सकते हैं। एक अध्ययन में पता चला है कि ये दरअसल सार्स-सीओवी-2 की वजह से बने कुछ एंटीबॉडी हैं, जो उनके अंदर खून के थक्के बना देते हैं।


साइंस ट्रांसनेशनल मेडिसिन पत्रिका में छपे इस अध्ययन के अनुसार, खून में प्रवाहित हो रहा एक ऑटोइम्यून एंटीबॉडी, कोशिकाओं पर हमला कर धमनियों, नसों और सूक्ष्म धमनियों में थक्के बना देता है।

मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, आमतौर पर ये एंटीबॉडी ऐसे मरीजों में पाए जाते हैं, जिनमे एंटीफॉसफॉलिपिड सिंड्रोम नामक ऑटोइम्यून बीमारी होती है। इसमें मरीज का प्रतिरक्षा तंत्र गलती से खून में मौजूद प्रोटीनों पर हमला करता है। विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर और इस अध्ययन के लेखक योगेन कांति के अनुसार, एंटीबॉडी और कोविड के बीच का यह रिश्ता बिल्कुल अप्रत्याशित था।

कोविड-19 के मरीजों में, हमें शरीर के अंदर सूजन और थक्के बनने का, एक निरंतर और खुद से बढ़ने वाला चक्र नजर आता है'। थक्कों और सूजन के इस चक्र के लिए कुछ एंटीबॉडी जिम्मेवार हो सकते हैं, जो पहले से ही बीमारी से जूझ रहे लोगों को और बीमार कर देते हैं।

चूहों पर दिखा खतरनाक असर :

शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष 172 मरीजों पर अध्ययन के बाद निकाला है। इस दौरान पता चला कि आधे से अधिक मरीज जो बहुत बीमार थे, उनमें खतरनाक एंटीबॉडी और अत्यधिक सक्रिय न्यूट्रोफिल, दोनों के उच्च स्तरों का मिश्रण दिख रहा था। यह स्थिति घातक होती है। वैज्ञानिकों के समूह ने इन न्यूट्रोफिल और एंटीबॉडी का चूहों पर अध्ययन किया, जिनमें बड़ी मात्रा में खून के थक्के दिखाई दिए। शोधकर्ता अब यह पता लगाने में जुटे हैं कि िकसी मरीज के शरीर में ये एंटीबॉडी किन कारणों से विकसित होती हैं। 

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