COVID-19: ICMR के अध्ययन में हुआ दावा, कोरोना के 72% नमूनों में वायरस की पाई गई एंटीबॉडी

अध्यन में पाया गया कि एसिम्टोमैटिक मरीजों में भी एंटीबॉडी हैं

Update: 2020-12-04 13:06 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (IJMR) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) संस्थान में कोरोना के 72% नमूनों में वायरस की एंटीबॉडी पाई गई है। अध्यन में पाया गया कि एसिम्टोमैटिक मरीजों में भी एंटीबॉडी हैं। अध्यन के एक लेखक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "एंटीबॉडीज वायरस से कोशिकाओं की रक्षा करते हैं।" एंटीबॉडीज डेवलप होने के बाद संक्रमण दोबारा हो सकता है या नहीं इसको लेकर आगे के अध्यन में जानकारी मिलेगी।

मार्च से मई तक पुणे के ICMR के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में 343 नमूने इकट्ठा किए गए थे जिनमें 89 सकारात्मक, 58 नकारात्मक, 17 क्रॉस-रिएक्टिव और 179 सीरम एकत्र किए गए थे। अध्ययन में कहा गया है, "SARS-CoV-2 रियल-टाइम RT-PCR से 89 सीरम सैंपल पुष्टि मरीजों में 64 (71.9%) पॉजिटिव और बाकी 25 सीरम सैंपल (28.1%) नेगेटिव पाए गए।"
स्टडी बताते हैं, "89 कोरोना पॉजिटिव रोगियों में से, 59 (66.3%) रोगसूचक थे और 30 (33.7%)एसिम्टोमैटिक थे।" Covid-19 से सीरम के नमूनों की पुष्टि मरीजों (n = 89) ने पुणे में वास्तविक समय रिवर्स प्रतिलेखन-पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (RT-PCR) और केरल के अलाप्पुझा में अध्ययन के लिए की।
रोगसूचक रोगियों के 48 मामलों में खांसी के लक्षण मिले (81.4%), 36 में बुखार (61%), 16 में गले में खराश (7.1%), 11 में सांस फूलने की शिकायत (9.6%), 9 में शरीर में दर्द 9 (15.3%), 5 में सिरदर्द था (8.5%), 2 में नाक से डिस्चार्ज 2 (3.4%) और 2 (3.4%) में दस्त की शिकायत थी। 58 Sars-Cov-2 आरटी-पीसीआर नेगेटिव रोगियों के पुष्टिकरण के बाद 2 सप्ताह के भीतर नमूने एकत्र किए गए थे।
विशेषज्ञों का कहना है कि केवल एंटीबॉडी का पता लगाना पर्याप्त नहीं है। आईसीएमआर के महामारी विज्ञान और संचारी रोग प्रभाग के पूर्व प्रमुख, ललित कान्त का कहना है, "एंटीबॉडी की गुणवत्ता जानना महत्वपूर्ण है, और ये भी कि क्या ये रोग के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैंऔर कब तक करते हैं।"


Tags:    

Similar News

-->