घर में कोरोना मरीज फिर भी दूसरे की रिपोर्ट नेगेटिव, सैंपल इकट्ठा करने में गलती?

Update: 2022-01-21 03:23 GMT

नई दिल्ली: देश में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. हालांकि, कुछ परिवारों में ये भी देखने को मिल रहा है कि एक सदस्य कोरोना पॉजिटिव होता है, साथ ही अन्य सदस्य को भी कोरोना के लक्षण होते हैं, लेकिन वह जब जांच कराने के लिए जाता है, तो उसकी रिपोर्ट निगेटिव आती है. आइए जानते हैं कि आखिर इसके पीछे क्या वजह है?

सैंपल इकट्ठा करने में गलती?
RTPCR परीक्षण कुछ लोगों में सकारात्मक पाया जाता है और दूसरों में नकारात्मक पाया जाता है, भले ही उनमें सभी लक्षण हों.
इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर के डॉ विजय दत्ता ने कहा, एक परिवार में कुछ सदस्य आरटीपीसीआर टेस्ट में कोरोना पॉजिटिव पाए जाते हैं. जबकि कुछ सदस्यों में लक्षण होने के बावजूद भी उनकी रिपोर्ट निगेटिव आती है, इसके पीछे एक वजह सैंपल इकट्ठा करने में गलती भी हो सकती है. अगर सही प्रक्रिया अपनाई जाती है. सैंपल सही से लिया जाता है. इसे 2-5 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखकर ले जाया जाए, तो रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है.
वीपी माइक्रोबायोलॉजिस्ट जेनेस्ट्रिंग्स डायग्नोस्टिक डॉ अल्पना राजदान के मुताबिक, अगर स्वाब ठीक से नहीं लिया गया या स्वाब टेस्ट के दौरान लिए गए सैंपल में पर्याप्त मात्रा में वायरल के पार्टिकल नहीं आए, तो टेस्ट निगेटिव आ जाता है.
कब होना चाहिए कोरोना टेस्ट?
कोरोना के मामले में इन्क्यूबेशन काफी अहम है. वायरस के इन्क्यूबेशन का मतलब है, जब शरीर में वायरस जाता है, तो वह विकसित होने में कुछ समय लेता है. डॉ विजय दत्ता के मुताबिक, कोरोना टेस्ट रिपोर्ट के निगेटिव आने की दूसरी वजह ये है कि जब आप आरटीपीसीआर उस वक्त कराते हैं, जब वायरस इन्क्यूबेशन की स्थिति में होता है, या शरीर में यह विकसित नहीं हो पाता, तो रिपोर्ट निगेटिव हो सकती है.
आईएम कोच्चि केरल के कोविड टास्क फोर्स के क्लिनिकल रिसर्चर डॉ राजीव के मुताबिक, ''ओमिक्रॉन के मामले में वायरस के लक्षण दिखने में 3 से 6 दिन लगते हैं. अगर लक्षण के पहले दिन आप कोरोना रिपोर्ट कराते हैं, तो रिपोर्ट निगेटिव आएगी.''
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इन्क्यूबेशन में ज्यादा समय भी लग सकता है. डॉ राजदान के मुताबिक, इन्क्यूबेशन का औसत समय 4-6 दिन है. इस दौरान वायरस शरीर में विकसित हो रहा होता है. भले ही पीसीआर तकनीक बेहद संवेदनशील है. फिर भी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के लिए निश्चित सीमा में वायरल पार्टिकल का सैंपल में आना जरूरी है. लक्षण आने के 6 दिन बाद का समय जांच के लिए अहम है. हालांकि, इससे पहले भी कई लोग पॉजिटिव आ जाते हैं.
1 से 10 दिन तक फैल सकता है दूसरों में संक्रमण
डॉ राजीव के मुताबिक, ओमिक्रॉन में बड़ी संख्या में लोगों को लक्षण नहीं दिख रहे हैं. ILBS सीरीज के कोरोना मरीजों में 54-72% मरीजों में लक्षण नहीं हैं. ऐसे केस में हमें नहीं पता होता कि लक्षण का पहला दिन कब होता है. ऐसे में अगर इंफेक्टिव फेज निकल जाता है, तो कोरोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आती है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि लोग संक्रमित होने के पहले दिन से लेकर संक्रमित होने के 10 दिन बाद तक दूसरों तक वायरस पहुंचा सकते हैं. हालांकि, कोरोना टेस्ट कराने का समय अच्छा समय प्रमुख लक्षण विकसित होने से 24 घंटे पहले का है. हालांकि, इम्युनिटी, वैक्सीन और उम्र समेत अन्य स्वास्थ्य कारणों भी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव होने की अन्य वजह हो सकते हैं. ये अलग अलग लोगों में अलग अलग होते हैं. 
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