छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार में कोवैक्सीन को लेकर तकरार बढ़ी
कोरोना वायरस के खिलाफ पूर्णत: स्वदेशी टीके कोवैक्सीन को लेकर छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार के बीच तकरार बढ़ गई है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कोरोना वायरस के खिलाफ पूर्णत: स्वदेशी टीके कोवैक्सीन को लेकर छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार के बीच तकरार बढ़ गई है। केंद्र की तरफ से भेजी गई कोवैक्सीन का इस्तेमाल नहीं करने के राज्य सरकार के फैसले को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने छत्तीसगढ़ की जनता की बदकिस्मती करार दिया है। उनके अनुसार पूरी दुनिया भारत में बनी वैक्सीन लेना चाह रही है, ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार का फैसला समझ से परे है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने यहां कोवैक्सीन के इस्तेमाल पर लगाई है रोक
हर्षवर्धन ने कहा कि बड़े-बड़े और विकसित देश भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सीन की मांग कर रह रहे हैं। भारी मांग के चलते यह तय करना मुश्किल हो रहा है कि किस देश को कितनी वैक्सीन दी जाए। भारत दुनिया के सभी देशों की जरूरत को पूरी करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि 20-25 देश भारत से वैक्सीन मांग रहे हैं और इन सभी को वैक्सीन सप्लाई की जाएगी।
हर्षवर्धन के मुताबिक, वह छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को पत्र लिखकर बता चुके हैं कि दोनों भारतीय वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और कारगर हैं। तीसरे चरण में 25 हजार लोगों पर ट्रायल के साथ ही पिछले एक महीने के दौरान लाखों स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को यह वैक्सीन लगाई जा चुकी है। यहां तक एम्स जैसे बड़े अस्पतालों के डाक्टरों ने भी यह वैक्सीन लगवाई है। कहीं से इसके खिलाफ कोई शिकायत नहीं आई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने स्वदेशी वैक्सीन को बताया पूरी तरह सुरक्षित
छत्तीसगढ़ के फैसले से नाराज हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वे राजनीति को बिल्कुल नहीं लाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे पूरी तरह गैरराजनीतिक रखा है, जिसे केंद्र और राज्यों ने मिलकर लड़ा है। उन्होंने कहा, 'यह राज्य में रहने वाली जनता की बदकिस्मती है और इसके अलावा वे क्या कह सकते हैं।'
दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने यहां हेल्थ केयर और फ्रंट लाइन वर्कर्स को कोवैक्सीन देने से इन्कार कर दिया है। इस कारण केंद्र सरकार की ओर भेजी गई कोवैक्सीन के लाखों डोज का इस्तेमाल नहीं हो रहा है और ऐसी स्थिति में उनके बेकार हो जाने का खतरा भी मंडरा रहा है। कोवैक्सीन की डोज बनने के बाद केवल छह महीने तक ही इस्तेमाल की जा सकती है।
छत्तीसगढ़ सरकार का बयान
छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि कोवैक्सीन को ट्रायल के बीच में इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति दे दी गई है और कोरोना को रोकने में इसके कारगर और सुरक्षित होने का कोई प्रामाणिक वैज्ञानिक डाटा नहीं है। ऐसे में कोवैक्सीन देकर वह अपने राज्य के लोगों के जीवन को संकट में नहीं डाल सकते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार कोवैक्सीन की जगह कोविशील्ड सप्लाई करने की मांग कर रही है।
हालांकि वैज्ञानिक समुदाय की ओर से स्पष्ट किया जा चुका है कि कोवैक्सीन पूर्णत: सुरक्षित है। हर्षवर्धन ने यह भी बताया कि देश में इस समय 18-20 वैक्सीन ट्रायल के विभिन्न चरणों में हैं। किसी का प्री-क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है तो किसी का क्लीनिकल। कई वैक्सीन ट्रायल के आखिरी चरण में हैं।