रूस और भारत की दोस्ती से घबराया रहता है चीन, अमेरिका की खास नजर

पीएम मोदी को रूस के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया.

Update: 2024-07-11 10:20 GMT
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया रूस यात्रा ने न केवल भारत-रूस संबंधों को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी बड़ी चर्चा को जन्म दिया। पांच साल बाद रूस की धरती पर कदम रखते ही मोदी का स्वागत गर्मजोशी और शाही तरीके से हुआ, जो दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों को दर्शाता है। यह यात्रा खास इसलिए भी रही क्योंकि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यह मोदी की पहली मॉस्को यात्रा थी, जिस पर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की खास नजर थी।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी की शान में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी को रूस के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया, जो दोनों देशों के बीच सम्मान और विश्वास को और भी मजबूत बनाता है। पुतिन और मोदी का गर्मजोशी से गले मिलना कई मायनों में महत्वपूर्ण था। उनका गले मिलना यह संकेत था कि रूस को पश्चिमी दबाव के संतुलन के लिए केवल चीन पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। यह पश्चिम के लिए एक स्पष्ट संदेश भी था कि भारत किसी एक खेमे में बंधकर नहीं रहेगा।
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के बाद यह चर्चा उठी कि भारत ने शीत युद्ध के दौरान के गुटनिरपेक्ष आंदोलन को वापस ला दिया है। गुटनिरपेक्षता की इस नीति का उद्देश्य था कि भारत किसी भी बड़े शक्ति गुट का हिस्सा बने बिना अपनी स्वतंत्र नीति अपनाए। इस यात्रा ने एक बार फिर से इस नीति को महत्व दिया।
यह यात्रा केवल वर्तमान समय की कूटनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि अतीत की गहरी विरासत का हिस्सा भी है। जब अमेरिका और पश्चिमी देश अफगानिस्तान में ग्रेट गेम खेल रहे थे और पाकिस्तान के तानाशाहों को बढ़ावा दे रहे थे, तब रूस भारत के लोकतांत्रिक विश्वास को मजबूत करने में लगा हुआ था। उस समय रूस ने ढांचागत निर्माणों से लेकर सैन्य उपकरणों तक हर संभव मदद की।
भारत और रूस के बीच सैन्य और आर्थिक सहयोग भी इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण पहलू था। दोनों देशों के बीच ब्रह्मोस मिसाइल, सुखोई विमान और टी-90 टैंकों जैसे महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों का साझा विकास और उत्पादन इस सहयोग का जीता-जागता उदाहरण है। इसके अलावा, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष सहयोग में भी दोनों देश एक-दूसरे के प्रमुख साझेदार हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा ने एक बार फिर से दिखा दिया कि भारत और रूस के बीच के रिश्ते सिर्फ कूटनीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह संबंध इतिहास, आपसी विश्वास की गहरी जड़ों पर आधारित हैं। इस यात्रा ने भारत और रूस के बीच की दोस्ती को और भी मजबूत बनाया है और भविष्य में दोनों देशों के बीच सहयोग और भी बढ़ेगा।
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