Vedanta ने विकास को आगे बढ़ाने के लिए 30,000 करोड़ रुपये का कोष तैयार किया
Delhi दिल्ली। सूत्रों ने बताया कि अनिल अग्रवाल की अगुआई वाली वेदांता लिमिटेड ने हाल ही में क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी), ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) और लाभांश के जरिए जुटाई गई रकम से 30,000 करोड़ रुपये का कोष तैयार किया है, ताकि आगे चलकर कर्ज में कमी और वृद्धि को आगे बढ़ाया जा सके। सूत्रों ने बताया कि वेदांता लिमिटेड के 8,500 करोड़ रुपये के क्यूआईपी, एचजेडएल के 3,200 करोड़ रुपये के ओएफएस और दूसरे अंतरिम लाभांश से 5,100 करोड़ रुपये की आय के साथ-साथ 13,000 करोड़ रुपये के मौजूदा नकद भंडार से कंपनी को सभी फंड मिलने के बाद 30,000 करोड़ रुपये का कोष तैयार हो जाएगा।
एक विश्लेषक ने बताया कि वेदांता इस कोष का इस्तेमाल अपनी बैलेंस शीट में तेजी लाने, पूंजी संरचना में सुधार लाने, अपने परिवर्तनकारी परियोजनाओं के विकास के लिए कर सकता है, जिससे उसके निकट भविष्य में 10 अरब डॉलर के ईबीआईटीडीए लक्ष्य को हासिल करने और अकार्बनिक अवसरों का लाभ उठाने का मार्ग प्रशस्त होगा। वेदांता ने लगातार मजबूत तिमाही नतीजे दिए हैं। पहली तिमाही में कर पश्चात लाभ में साल-दर-साल आधार पर 54 प्रतिशत की वृद्धि हुई तथा तिमाही-दर-तिमाही आधार पर दोगुना से अधिक होकर 5,095 करोड़ रुपये हो गया।
कंपनी ने लांजीगढ़ में अब तक का सर्वाधिक एल्युमिना उत्पादन दर्ज किया तथा जिंक इंडिया इकाई में धातु उत्पाद का खनन किया। संरचनात्मक परिवर्तनों तथा अन्य पहलों के कारण इसने उत्पादन की कुल लागत में 20 प्रतिशत की कमी की।30 जून तक खनन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी का ऋण 6,130 करोड़ रुपये था।फरवरी से जून के बीच गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर के निजी प्लेसमेंट तथा प्रवर्तक हिस्सेदारी बिक्री (संचयी रूप से 4.4 प्रतिशत) से प्राप्त आय भी निकट अवधि में समूह स्तर पर ऋण में कमी लाने में सहायक होगी।
सूत्रों ने कहा कि रणनीतिक हिस्सेदारी बिक्री, ऋण में कमी तथा परिचालन दक्षताओं के अनुकूलन का संयोजन यह संकेत देता है कि वेदांता का ऋण-मुक्ति तथा मुक्त नकदी प्रवाह सृजित करने की दिशा में कदम सही दिशा में है।दो प्रमुख घटनाओं - प्रस्तावित विभाजन और परिवर्तनकारी परियोजनाओं की एक श्रृंखला - से कंपनी को इस प्रवृत्ति को जारी रखने में मदद मिलने की उम्मीद है।