इस साल ग्रीष्मकालीन फसलों की बुआई में काफी वृद्धि, दलहन में 100 % तो तिलहन व धान भी 16% अधिक

देश में इस साल गर्मी की फसलों की बंपर बुआई हुई है. दलहन की बुआई में 100 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है

Update: 2021-04-23 15:02 GMT

देश में इस साल गर्मी की फसलों की बंपर बुआई हुई है. दलहन की बुआई में 100 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है तो धान और तिलहन की फसलों की बुआई में भी पिछले साल के मुकाबले 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. राज्यों और केंद्र सरकार की गहन योजना एवं ठोस प्रयासों और किसानों की कड़ी मेहनत का ही यह नतीजा है. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने ग्रीष्मकालीन फसलों जैसे दालों, मोटे अनाजों, पोषक-अनाजों और तिलहन की वैज्ञानिक खेती के लिए नई पहलें की हैं.

23 अप्रैल 2021 तक देश में ग्रीष्मकालीन बुआई पिछले साल इस अवधि में हुई इस तरह की बुआई की तुलना में 21.5 प्रतिशत अधिक है. इसी अवधि के दौरान एक साल पहले 60.67 लाख हेक्टेयर से कुल ग्रीष्मकालीन फसल क्षेत्र बढ़कर 73.76 लाख हेक्टेयर हो गया. दालों के क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. 23 अप्रैल 2021 तक, दलहन के तहत बोया जाने वाला क्षेत्र 6.45 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 12.75 लाख हेक्टेयर हो गया, जो लगभग शत-प्रतिशत वृद्धि दर्शाता है. बढ़ा हुआ क्षेत्र मुख्य रूप से तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि राज्यों से होने की जानकारी है.
तिलहन और धान की बुआई में 16 प्रतिशत बढ़ोतरी
तिलहन का फसल क्षेत्र 9.03 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 10.45 लाख हेक्टेयर हो गया जो लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि है. यह क्षेत्र पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि के हैं. धान की रोपाई का क्षेत्र 33.82 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 39.10 लाख हेक्टेयर हो गया है जो लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि है. पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक, असम, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, बिहार आदि राज्यों में रबी चावल का फसल क्षेत्र बढ़ा है.
मई के पहले सप्ताह तक ग्रीष्मकालीन बुआई पूरी होने की संभावना
मई के पहले सप्ताह तक ग्रीष्मकालीन बुआई पूरी होने की संभावना है और फसलों के क्षेत्र में काफी वृद्धि दर्ज की गई है. ग्रीष्मकालीन फसलें न केवल अतिरिक्त आय प्रदान करती हैं बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करती हैं. ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती से एक प्रमुख लाभ मिट्टी की सेहत में सुधार होना है जो विशेष रूप से दालों की फसल के माध्यम से होता है. अधिकतर जलाशयों में जल स्तर को बढ़ाने से रबी की फसल के साथ-साथ गर्मियों की फसलों को सुरक्षा देने में मदद मिली. इससे उत्पादकता और उत्पादन में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है.
भारत में ग्रीष्मकालीन फसल उगाने की पुरानी प्रथा
भारत में मिट्टी में नमी और अन्य जलवायु परिस्थितियों की उपलब्धता के आधार पर ग्रीष्म कालीन फसलों को उगाने की एक पुरानी प्रथा रही है. साथ ही इससे खाद्यान्न और पशुओं को खिलाने की अतिरिक्त घरेलू आवश्यकता को भी पूरा किया जाता है. कुछ राज्यों में किसान पानी की उपलब्धता के आधार पर ग्रीष्मकाल में धान की रोपाई करते हैं. वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग करके, किसानों ने बीज के लिए जरुरी उपचार के बाद गर्मियों की फसलों की बुवाई बीज ड्रिल के माध्यम से शुरू कर दी है. किसानों द्वारा उच्च उपज वाली किस्मों की खेती शुरू कर दी गई है और उच्च उत्पादकता और आर्थिक लाभ के लिए फसलों की कटाई के बाद मूल्य संवर्धन तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं.


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